नई दिल्ली: बैंकों को अरबों रुपये का चूना लगाकर विदेश भाग चुके विजय माल्या (Vijay Mallya), नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को गरीबों से सीखना चाहिए कि लोन कैसे चुकाया जाता है। अमूमन यह धारणा है कि गरीबों को दिया गया लोन सरकार को बट्टे खाते में डालना पड़ता है लेकिन देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई (SBI) की मानें तो सड़क किनारे रेहड़ी-पटरी पर सामान बेचने वाले छोटे दुकानदार लोन चुकाने के मामले में ज्यादा ईमानदार हैं। एसबीआई ने रेहड़ी-पटरी वालों को जो लोन दिया था उसमें से 20 फीसदी से भी कम एनपीए (NPA) बना। लेकिन इससे बैंक पर कोई खास असर नहीं पड़ा क्योंकि इस कर्ज पर गारंटी थी। स्वनिधि (SVANidhi) की दूसरी किस्त में लोन लेने वाले लोग समय पर अपने बकाये का भुगतान कर रहे हैं और एनपीए मात्र 1.7 फीसदी है। एसबीआई ने हाल में यह खुलासा किया है। अगर किसी लोन का 90 दिन तक भुगतान नहीं किया जाता है तो इसे एनपीए मान लिया जाता है।
एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा ने पिछले हफ्ते सिविल सर्विसेज डे के मौके पर एक प्रजेटेंशन में कहा कि स्वनिधि योजना के तहत बैंक ने करीब 955 करोड़ रुपये का लोन दिया था। इसमें से केवल 172 करोड़ रुपये का लोन एनपीए बना। यह कुल लोन का करीब 18 फीसदी है। इसमें से बैंक ने 78 करोड़ रुपये की रिकवरी कर ली क्योंकि यह लोन क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE) के तहत कवर्ड है। उन्होंने कहा कि बैंक को करीब 94 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ लेकिन साथ ही कई फायदे भी हुए। स्वनिधि योजना के तहत लोन खातों की संख्या को देखते हुए यह एनपीए मामूली है। इससे कहीं ज्यादा नुकसान तो बैंकों को कॉरपोरेट सेक्टर के एक ही एनपीए से हो जाता है।
बैंक को क्या हुआ फायदा
खारा ने कहा कि इस स्कीम के कारण हम बड़ी संख्या में लोगों के ब्यूरो रेकॉर्ड और क्रेडिट हिस्ट्री को कैच कर पाए हैं। इनमें से कई लोग ऐसे हैं जिन्हें पहली बार बैंकिंग सिस्टम से लोन लेने का अनुभव मिला है। शायद वे इस बात को भी नहीं जानते थे कि उन्हें अपने क्रेडिट डिसीप्लिन (credit discipline) के लिए क्या करना है। उन्होंने साथ ही कहा कि स्वनिधि की दूसरी किस्त ले रहे लोग समय पर किस्त का भुगतान कर रहे हैं और एनपीए केवल 1.7 फीसदी है।
एसबीआई चीफ ने कहा कि अब लोगों की समझ में आ रहा है कि समय पर कर्ज चुकाने की क्या अहमियत है। वे इस बात को समझ रहे हैं कि अगर वे समय पर कर्ज का भुगतान करते हैं तो उन्हें पैसे जुटाने में मुश्किल नहीं होगी। स्वनिधि स्कीम के तहत रेहड़ी-पटरी वालों को पिछले महीने तक कुल 3,170 करोड़ रुपये का लोन दिया गया था। इसमें से एक चौथाई से ज्यादा से एसबीआई ने दिया है। इस योजना के तहत 10 फीसदी के बजाय सात फीसदी के रेट पर लोन लिया जा सकता है। इस पर सीजीटीएमएसई पर गारंटी देता है। स्वनिधि योजना केंद्र सरकार की योजना है। इसके तहत उन रेहड़ी-पटरी, ठेला लगाने वाले और स्ट्रीट वेंडर्स को लोन दिया जाता है जिनके रोजगार कोरोना महामारी के दौरान चले गए। सरकार ऐसे लोगों को 10,000 रुपये तक का लोन देती है।