परिजन ने एक दिन पूर्व थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी कि उनकी बालिका घर से लापता है। 1 फरवरी को उसकी लाश एक खेत में मिली थी। शव पर खून के निशान थे। इसी मामले में अदालत ने सजा सुनाई है।
खंडवा में कोर्ट ने 9 साल की मासूम बच्ची से हुए दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में एक आरोपी को मृत्युदंड की सजा सुनाई हैं। मामला जनवरी 2013 का है। 9 वर्षीय बालिका घर से गुम हो गई थी। पुलिस में गुमशुदगी दर्ज होने के दूसरे दिन उसकी लाश पास के एक गांव में खेत की मेढ़ पर मिली थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि होने के बाद उसका डीएनए परीक्षण करवाया गया था जिसके बाद आरोपी की पहचान अनोखीलाल के तौर पर हुई थी।
यह सजा विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट प्राची पटेल ने सुनाई है। फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश ने अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, ‘इस घटना से समग्र समाज में आक्रोश, उनकी भावनाओं और बालमन पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए दयापूर्वक विचार करना उचित नहीं है।’ न्यायालय द्वारा मामले को विरल से विरलतम श्रेणी का माना गया। आरोपी की पूर्व दोषसिद्धि को देखते हुए मात्र आजीवन कारावास का दण्ड दिया जाना पर्याप्त नहीं माना गया और मृत्युदण्ड दिया जाना आवश्यक माना गया।
अभियोजन सेल मीडिया प्रभारी एडीपीओ मोहम्मद जाहिद खान ने बताया कि, 30 जनवरी 2013 को 9 वर्ष की बालिका के साथ दरिंदगी कर उसकी हत्या का मामला सामने आया था। परिजन ने एक दिन पूर्व थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी कि उनकी बालिका घर से लापता है। 1 फरवरी को उसकी लाश एक खेत में मिली थी। शव पर खून के निशान थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डॉक्टरों की टीम ने बलात्कार होना पाया था। आरोपी की पहचान एफएसएल टीम की जांच व शव के डीएनए परीक्षण से हुई थी। आरोपी अनोखीलाल द्वारा बलात्कार किए जाने की पुष्टि हुई थी।
आपराधिक प्रकरण में शीघ्र विचार के लिए माननीय सर्वोच्च नायालय ने उच्च न्यायालय के माध्यम से जिला एवं सत्र न्यायालय खंडवा को स्थानांतरित किया था। 9 साल बाद जाकर विशेष न्यायालय पॉक्सो एक्ट की न्यायाधीश प्राची पटेल ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई। एक अधनियम में मृत्युदंड व तीन अधिनियमों में सात-सात साल की सजा व अर्थदंड सुनाया गया।
माननीय न्यायालय द्वारा निर्णय पारित करते हुए टिप्पणी की गई कि इस आधार पर कि घटना के समय आरोपी मात्र 21 वर्षीय युवक था और वर्तमान में उसकी आयु लगभग 31 वर्ष है आरोपी के प्रति दयापूर्वक विचार किया जाना उचित नहीं होगा।