छत्तीसगढ़ में भाजपा की सियासत में उठा-पटक का दौर जारी है। धरमलाल कौशिक की नेता प्रतिपक्ष के पद से छुट्टी कर दी गई है। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने नारायण चंदेल पर बड़ा सियासी दांव खेला है।
छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सियासत में उठा-पटक का दौर जारी है। धरमलाल कौशिक की नेता प्रतिपक्ष के पद से छुट्टी कर दी गई है। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने नारायण चंदेल पर बड़ा सियासी दांव खेला है। नारायण चंदेल को विधायक दल का नेता चुना गया है। बीजेपी प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने विधायक दल की मीटिंग में बंद लिफाफे से नेता प्रतिपक्ष का नाम निकाला है। छत्तीसगढ़ में बदलाव का सिलसिला यही थमने वाला नहीं है। मिशन-2023 के मद्देनजर अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने भाजपा बड़े और चौंकाने वाले फैसले ले रही है। प्रदेश से लेकर जिला संगठन में अभी और बदलाव होगा।
कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में दोपहर को विधायक दल की बैठक में नए नेता प्रतिपक्ष के रूप में नारायण सिंह चंदेल की ताजपोशी की गई। इस बैठक में छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी, सहप्रभारी नितिन नवीन के साथ सभी विधायक शामिल हुए। भाजपा की प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी दिल्ली से नए नेता प्रतिपक्ष के नाम का लिफाफा लेकर बुधवार सुबह ही रायपुर पहुंच थी। इसी के साथ यह तय था कि आज नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक की विदाई हो जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने के बाद चर्चा शुरू हो गई थी कि नेता प्रतिपक्ष भी बदला जाएगा।
भूपेश बघेल सरकार को उखाड़ फेकेंगे
नेता प्रतिपक्ष चुने जाने के बाद नारायण चंदेल ने कहा कि विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से मुझे यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। सभी विधायक साथियों का मैं आभार व्यक्त करता हूं। चुनौती के समय मुझे विधायक दल का नेता चुना गया है। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस की सरकार उखाड़कर फेंकना और आने वाले चुनाव में प्रदेश में कमल खिलाना यह हमारी प्राथमिकता है। चंदेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की दशा और दिशा ठीक नहीं। झूठे वादे कर जनता का जनादेश कांग्रेस ने पाया है। प्रदेश में भूपेश सरकार के खिलाफ जनाक्रोश है, जिसे जनता विधानसभा चुनाव में जवाब देगी।
कौन है नारायण चंदेल जानिये
नारायण चंदेल एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ राज्य के महासचिव हैं। वे जांजगीर-चांपा का प्रतिनिधित्व करने वाली छत्तीसगढ़ विधान सभा के सदस्य हैं। छत्तीसगढ़ विधान सभा के उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है। चंदेल पहली बार 1998 में मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के बाद उन्होंने 2003 छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव उसी निर्वाचन क्षेत्र से लड़ा, लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मोती लाल देवांगन से 7,710 मतों के अंतर से हार गए। फिर से उन्होंने 2008 का विधानसभा चुनाव जीता और छत्तीसगढ़ विधानसभा में उपाध्यक्ष बने। 2018 में चंदेल फिर से कांग्रेस पार्टी के मोती लाल देवांगन को 4,188 मतों के अंतर से हराकर विधानसभा के लिए चुने गए।
नेता प्रतिपक्ष की होगी बड़ी जिम्मेदारी
पार्टी सूत्रों की मुताबिक संगठन में एकाधिकार खत्म करने लगातार नए चेहरे सामने लाए जाने की मांग उठती रही है। लगातार हार से भाजपा के प्रदेश नेतृत्व पर सवाल उठते रहे हैं। अब मिशन-2023 से पहले भाजपा बदलाव के एक्शन मोड में नजर आ रही है। प्रदेश में ऐसी चर्चा है कि नेता प्रतिपक्ष का जिम्मा चंदेल को मिला है। अब सियासी तौर पर उसका सिक्का बुलंद होगा। आगामी चुनावों में प्रदेश में भाजपा की स्थिति बेहतर करने में उसका अहम योगदान होगा। अगर भाजपा 2023 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत मिली तो उसे मुख्यमंत्री की रेस में बड़े दावेदार के तौर पर पेश किया जाएगा।