बेल पर हाल ही में जेल से रिहा हुईं सांसद नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ सकती हैं। महाराष्ट्र सरकार राणा दंपति की बेल को चुनौती देने पर विचार कर रही है।
बेल पर हाल ही में जेल से रिहा हुईं सांसद नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ सकती हैं। महाराष्ट्र सरकार राणा दंपति की बेल को चुनौती देने पर विचार कर रही है। दरअसल महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के घर के बाहर हनुमान चालीसा का ऐलान करने पर जेल गईं सांसद नवनीत राणा ने बेल पर बाहर आने के बाद एक बार फिर से शिवसेना पर हमला बोला है। उन्होंने रविवार को अस्पताल से निकलने पर कहा कि यह धार्मिक लड़ाई है और वह इसे जारी रखेंगी। इसके साथ ही उन्होंने सीएम उद्धव ठाकरे को अपने मुकाबले चुनाव लड़ने की भी चुनौती दी। जेल से बाहर निकलने पर सीने में दर्द और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत की थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में एडमिट कराया गया था।
सेशन कोर्ट ने राणा दंपति को बेल देते हुए कुछ शर्तें भी रखी थीं। इनमें से एक शर्त यह भी थी कि वह बाहर निकलकर इस मामले में मीडिया से बात नहीं करेंगे। लेकिन अब नवनीत राणा के मीडिया से बात करने और उद्धव ठाकरे को सीधी चुनौती दिए जाने के बाद महाराष्ट्र सरकार उनकी बेल के खिलाफ अपील दायर करने पर विचार कर रही है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से अदालत में यह तर्क दिया जा सकता है कि नवनीत राणा और उनके पति ने अदालत की शर्त का उल्लंघन कर उसकी अवमानना की है। ऐसे में उनकी जमानत को रद्द कर दोबारा उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए।
अदालत ने राणा दंपति को बेल देते हुए कहा था, ‘आरोपियों के समक्ष यह शर्त होगी कि वे जेल से निकलने के बाद हनुमान चालीसा विवाद को लेकर बात नहीं करेंगे।’ इस शर्त के बाद भी नवनीत राणा ने कहा, ‘मैं उद्धव ठाकरे को चुनौती देती हूं कि यदि वे चाहें तो मेरे खिलाफ किसी भी क्षेत्र से चुनाव लड़ लें। मैं आपके खिलाफ चुनाव लड़ूंगी और दिखा दूंगी कि महिला की शक्ति क्या होती है।’ नवनीत राणा ने कहा कि मैं उद्धव सरकार से पूछना चाहती हूं कि आखिर मैंने क्या गलती थी, जिसकी मुझे सजा दी गई है। मैं पूछना चाहती हूं कि क्या हनुमान चालीसा पढ़ना अपराध है। यदि अपराध है तो फिर मैं 14 दिन नहीं बल्कि 14 सालों के लिए जेल जाने को तैयार हूं।
गौरतलब है कि भायकला जेल से निकलने के तुरंत बाद नवनीत राणा को अस्पताल में एडमिट कराया गया था। उन्होंने शिकायत की थी कि उनके शरीर और सीने में दर्द है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर भी बढ़ा हुआ है। इससे पहले उनके वकीलों ने अदालत में कहा था कि उनकी तबीयत खराब है और उनके चेकअप तक के लिए परमिशन नहीं दी जा रही है। यदि उनकी तबीयत खराब होती है तो फिर इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार होगी।