विश्व चैम्पियन निखत जरीन ने रविवार को राष्ट्रमंडल खेलों की लाइट फ्लाईवेट (48-50 किग्रा) स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। अमित ने मैकडोनल्ड कियारान को 5-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीता।
विश्व चैंपियन भारतीय मुक्केबाज निखत जरीन, अमित पंघल और नीतू घंघस ने राष्ट्रमंडल खेल 2022 में भारतीय मुक्केबाजी का परचम लहराते हुए अपने-अपने फाइनल जीतकर स्वर्ण हासिल किये। कुछ हफ्ते पहले विश्व चैंपियन बनीं निखत ने महिला 50 किग्रा मैच में बेलफास्ट की कार्ली मेकनॉल को मात दी। निखत ने मैच की शुरुआत से ही कार्ली पर मुक्कों की बरसात शुरू कर दी और कमेंटेटर के शब्दों में बेलफास्ट की मुक्केबाज को ‘महत्वपूर्ण सबक’ सिखाया। तीन राउंड के बाउट में कभी भी नहीं लगा कि कार्ली नियंत्रण में हैं, और अंततः निखत ने 5-0 के एकमत फैसले से स्वर्ण जीता। भारत का दिन का ये चौथा और बर्मिंघम में कुल मिलाकर 17वां गोल्ड मेडल है। निखत के इस गोल्ड से भारत पदक तालिका में न्यूजीलैंड को पीछे छोड़ते हुए चौथे स्थान पर पहुंच गया है।
अमित पंघाल ने भी जीता स्वर्ण
भारतीय स्टार मुक्केबाज अमित पंघाल ने पिछले राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में मिली हार का बदला चुकता करते हुए पुरुष फ्लाईवेट वर्ग में, जबकि नीतू गंघास ने पदार्पण में ही दबदबा बनाते हुए रविवार को स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाले। पंघाल (48-51 किग्रा) को चार साल पहले गोल्ड कोस्ट में इंग्लैंड के ही एक प्रतिद्वंद्वी से इसी चरण में हार मिली थी, लेकिन इस बार 26 साल के मुक्केबाज ने अपनी आक्रामकता के बूते घरेलू प्रबल दावेदार मैकडोनल्ड कियारान को 5-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीता।
पंघाल काफी तेजी से मुक्के जड़ रहे थे जिससे इस दौरान मैकडोनल्ड के आंख के ऊपर एक कट भी लग गया जिसके लिये उन्हें टांके लगवाने पड़े और खेल रोकना पड़ा। अपनी लंबाई का इस्तेमाल करते हुए मैकडोनल्ड ने तीसरे राउंड में वापसी की कोशिश की लेकिन एशियाई खेलों के चैम्पियन ने उनके सभी प्रयास नाकाम कर दिये। पंघाल ने सेमीफाइनल में जाम्बिया के तोक्यो ओलंपियन पैट्रिक चिनयेम्बा के खिलाफ वापसी करते हुए जीत दर्ज की थी जो उनके लिये ‘टर्निंग प्वाइंट’ रही।
नीतू ने बॉक्सिंग में जीता पहला गोल्ड
वहीं सबसे पहले रिंग में उतरी नीतू ने महिलाओं के मिनिममवेट (45-48 किग्रा) वर्ग के फाइनल में विश्व चैम्पियनशिप 2019 की कांस्य पदक विजेता रेस्जटान डेमी जेड को सर्वसम्मत फैसले में 5-0 से पराजित किया। राष्ट्रमंडल खेलों में पदार्पण में ही नीतू ने गजब का आत्मविश्वास दिखाया और फाइनल में भी वह इसी अंदाज में खेली जैसे पिछले मुकाबलों में खेली थीं। मेजबान देश की प्रबल दावेदार के खिलाफ मुकाबले का माहौल 21 साल की भारतीय मुक्केबाज को भयभीत कर सकता था लेकिन वह इससे परेशान नहीं हुईं।
नीतू अपनी प्रतिद्वंद्वी से थोड़ी लंबी थीं जिसका उन्हें फायदा मिला, उन्होंने विपक्षी के मुक्कों से बचने के लिये पैरों का अच्छा इस्तेमाल किया। उन्होंने पूरे नौ मिनट तक मुकाबले के तीनों राउंड में नियंत्रण बनाये रखा और विपक्षी मुक्केबाज के मुंह पर दमदार मुक्के जड़ना जारी रखते हुए उसे कहीं भी कोई मौका नहीं दिया।