Imran Khan Vs General Bajwa: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के अचानक से अपना धरना प्रदर्शन रद करने के कारणों का खुलासा हो गया है। इमरान खान पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा के सरकारों को गिराने की भूमिका का खुलासा कर सकते थे, इसी वजह से पाकिस्तानी सेना प्रमुख को डील कराने के लिए बाध्य होना पड़ा।
दरअसल, इमरान खान के लाखों समर्थकों के इस्लामाबाद पहुंचने पर शहबाज सरकार ने पाकिस्तानी सेना को तैनात करने का आदेश दिया। इस फैसले से इमरान और पाकिस्तानी सेना आमने-सामने आ गई। पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस टिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक सेना और पीटीआई समर्थकों के बीच भिड़ंत को टालने और अपनी फजीहत होने से रोकने के लिए जनरल बाजवा ने पूरे मामले में हस्तक्षेप किया। उधर, इमरान और शहबाज शरीफ को भी अपनी फजीहत को बचाना था, ऐसे में तीनों के बीच पर्दे के पीछे से बातचीत हुई।
इमरान खान झुकने को तैयार नहीं थे लेकिन पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने उन्हें साफ संदेश दे दिया कि वे इस पूरे विवाद में मूकदर्शक नहीं बने रहेंगे। जनरल बाजवा के इस दबाव का तत्काल असर हुआ और इमरान खान को अपना धरना खत्म करके जाना पड़ा। इससे पहले इमरान ने बाजवा से अपील की थी कि इस पूरे मामले में वह न्यूट्रल रहें। एक सूत्र ने कहा कि सभी राजनीतिक दल सेना की भूमिका के बारे में एक ही तरह की राय रखते थे, हालांकि राजनीतिक दल एक जैसी राय नहीं रखते थे।
सूत्र ने कहा कि राजनीतिक दल अभी एकजुट नहीं हैं लेकिन ऐसा डर था कि वे शक्तिशाली इदारे (पाकिस्तानी सेना) की पोल खोलना शुरू कर सकते थे। उन्होंने कहा, ‘आपसी भरोसे की भारी कमी थी। इस समय तीनों में से कोई भी पक्ष एक-दूसरे पर भरोसा नहीं कर रहा है।’ सूत्रों ने कहा कि इस बात का भी डर था कि जनरल बाजवा और पाकिस्तानी सेना के सीक्रेट को भी सार्वजनिक किया जा सकता था। उन्होंने कहा, ‘सीक्रेट खुल सकते थे और वे (जनरल बाजवा) यह होने नहीं देना चाहते थे।’ दरअसल इमरान खान अपनी सत्ता को हटाने में सेना की भूमिका को उजागर कर सकते थे। इससे जनरल बाजवा की फजीहत होती और इसी से बचने के लिए यह समझौता हुआ।
सूत्रों ने आम चुनाव की डेट के बारे में कहा कि इस बात के पूरे चांस हैं कि पाकिस्तान में आम चुनाव इस साल अक्टूबर महीने में हो सकते हैं। यह चुनाव सेना प्रमुख जनरल बाजवा के रिटायर होने से ठीक एक महीने पहले होंगे। उन्होंने कहा कि स्पीकर के कार्यालय ने इमरान, बाजवा और शहबाज शरीफ के बीच बात कराई और आगे भी चुनाव की डेट को फाइनल करने के लिए उन्हीं का इस्तेमाल किया जाएगा। विश्लेषकों का मानना है कि अभी अगस्त तक शहबाज शरीफ पीएम बने रहेंगे और बजट तथा चुनाव सुधार को अंजाम देंगे।