देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी पेरारिवलन की रिहाई के बाद सीएम स्टालिन ने उससे मुलाकात की थी. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत ने कहा है कि राजीव गांधी देश के नेता थे. उनके हत्यारों को इस तरह सम्मान देना हमारी संस्कृति और नैतिकता के दायरे में नहीं आता है.
मुंंबई. पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी एजी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था. फैसले के बाद डीएमके नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने पेरारिवलन और उसके परिवार से मुलाकात की थी. अब इस पर शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. राउत ने कहा है, ‘तमिलनाडु की राजनीति क्या है, यह सबको मालूम है. राजीव गांधी पूरे राष्ट्र के नेता थे, जिन्होंने देश के लिए शहादत दी.’ उन्होंने आगे कहा, ‘तमिलनाडु में ही उनकी हत्या हुई थी. राज्य के मुख्यमंत्री अगर उनके हत्यारों को इस तरह सम्मानित करते हैं तो मुझे लगता है कि वो हमारी संस्कृति और नैतिकता नहीं है.’
इससे पहले कांग्रेस ने राजीव गांधी की हत्या के दोषी को रिहा करने के फैसले पर अपनी निराशा जताई. कांग्रेस के प्रवक्त रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि एक आतंकवादी, आतंकवादी होता है और उसके साथ आतंकवादियों की तरह ही व्यवहार करना चाहिए. वहीं मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया और फौरन पेरारिवलन और उनके परिवार से मुलाकात की.
अन्नाद्रमुक ने भी किया था फैसले का स्वागत
पेरारिवलन से मुलाकात के बाद स्टालिन ने कहा था कि पेरारिवलन 31 वर्षों के बाद खुले आसमान के नीचे सांस ले सकेंगे. वहीं विपक्षी अन्नाद्रमुक ने भी पेरारिवलन की रिहाई के लिए दिवंगत जे जयललिता द्वारा उठाए गए कदमों को याद करते हुए आदेश का स्वागत किया.
कानूनी पेंच में फंस गया था मामला
दरअसल, पेरारिवलन ने अपनी रिहाई में होनी वाली देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी. साल 2018 में तमिलनाडु सरकार ने उन्हें रिहा करने की सिफारिश की थी. इसके बाद ये मामला कानूनी पेंच में फंस गया था. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया.
पीठ ने कहा था, ‘राज्य मंत्रिमंडल ने प्रासंगिक विचार-विमर्श के आधार पर अपना फैसला किया था. अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए, दोषी को रिहा किया जाना उचित होगा.’ संविधान का अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय को विशेषाधिकार देता है, जिसके तहत संबंधित मामले में कोई अन्य कानून लागू ना होने तक उसका फैसला सर्वोपरि माना जाता है.
दोषियों की रिहाई की गई थी सिफारिश
राजीव गांधी हत्याकांड मामले में सात लोगों को दोषी ठहराया गया था. सभी को मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे आजीवन कारावास में बदल दिया. 2016 और 2018 में जे. जयललिता और ए. के. पलानीसामी की सरकार ने दोषियों की रिहाई की सिफारिश की थी. मगर बाद के राज्यपालों ने इसका पालन नहीं किया और अंत में इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया. लंबे समय तक दया याचिका पर फैसला नहीं होने की वजह से दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.