भारत के रेस्लर सतेंद्र मलिक ने CWG ट्रायल्स के दौरान मैच रेफरी के साथ बदतमीजी की और उन्हें थप्पड़ मार दिया। इस वजह से उन पर लाइफ बैन लगा दिया गया है। ये सब CWG ट्रायल्स के दौरान हुआ।
सेना के पहलवान सतेंद्र मलिक ने मंगलवार को नई दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों (CWG Trials) के ट्रायल के दौरान 125 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल हारने के बाद रेफरी जगबीर सिंह पर हमला कर दिया, जिसके बाद बाद राष्ट्रीय महासंघ ने उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया। वायु सेना का यह पहलवान निर्णायक मुकाबले के खत्म होने से 18 सेकंड पहले 3-0 से आगे था, लेकिन मोहित ने उसे ‘टेक-डाउन’ करने के बाद मैट से बाहर धकेल दिया। हालांकि, रेफरी विरेन्द्र मलिक ने मोहित को ‘टेक डाउन’ के दो अंक नहीं दिए और इस पहलवान ने फैसले को चुनौती दी।
इस बाउट के जूरी सत्यदेव मलिक ने निष्पक्षता का हवाला देते हुए खुद को इस निर्णय से अलग कर लिया। सत्यदेव मोखरा गांव के हैं, जहां से सतेंदर भी आते हैं। इसके बाद अनुभवी रेफरी जगबीर सिंह से इस चुनौती पर गौर करने का अनुरोध किया गया। उन्होंने टीवी रिप्ले की मदद से मोहित को तीन अंक देने का फैसला सुनाया। इसके बाद स्कोर 3-3 हो गया और आखिर तक बरकरार रहा। मैच का अंतिम अंक हासिल करने पर मोहित को विजेता घोषित किया गया।
इस फैसले से सतेंद्र अपना आपा खो बैठे और वह 57 किग्रा के मुकाबले के मैट पर चले गए, जहां रवि दहिया और अमन के बीच फाइनल मैच हो रहा था, जहां रेफरी जगबीर भी मौजूद थे। सतेंदर, जगबीर के पास पहुंचकर उनके साथ मारपीट करने लगे। उसने पहले जगबीर को गाली दी और फिर थप्पड़ जड़ दिया, जो अपना संतुलन खो जमीन पर गिर गए। इसके बाद 57 किग्रा का मुकाबला रोक दिया गया, क्योंकि इस घटना के बाद इंदिरा गांधी स्टेडियम के केडी जाधव हॉल के अंदर हंगामा होने लगा। इस तरह का नजारा देखकर सैकड़ों प्रशंसक, अधिकारी और प्रतिभागी हैरान रह गए।
भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अधिकारियों ने सतेंद्र को हॉल से बाहर भेज कर मुकाबला फिर से शुरू कराया। यह सब कुछ मंच पर बैठे डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की नजरों के सामने हो रहा था। डब्ल्यूएफआई के सहायक सचिव विनोद तोमर ने कहा, ”हमने सतेंद्र मलिक पर आजीवन प्रतिबंध लगाया है। यह फैसला डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष ने लिया है।”
उन्होंने कहा, ”उस मुकाबले के रेफरी को भी स्पष्टीकरण के लिए बुलाया जाएगा कि मोहित को अंक क्यों नहीं दिए गए, जबकि उसने साफ तौर पर ‘टेक डाउन’ किया था। उन्होंने स्थिति को हाथ से निकलने क्यों दिया।” जगबीर सिंह ने कांपते हुए कहा, ”मुझे नहीं पता था कि वह ऐसा कुछ करेगा।” साल 2013 से शीर्ष स्तर (क्लास वन) के रेफरी रहे जगबीर ने कहा, ”उस मुकाबले से मेरा कोई लेना-देना नहीं था। मैंने 97 किग्रा और 65 किग्रा के फाइनल में अंपायरिंग की थी। मैंने उसमें फैसला तभी दिया जब मुझे ऐसा करने के लिए कहा गया।”
उन्होंने कहा, ”यह डब्ल्यूएफआई के ऊपर है कि वह उसके खिलाफ क्या फैसला लेते हैं।” सत्यदेव मलिक ने पीटीआई-भाषा से कहा, ” मैं फैसला करने से दूर रहना चाहता था, क्योंकि हम एक दूसरे के करीब रहते हैं। अंतरराष्ट्रीय कुश्ती में भी अगर पहलवान भारत से है, तो भारत का कोई जूरी उस मुकाबले में भाग नहीं ले सकता।” उन्होंने इस घटना के बारे में पूछे जाने पर कहा, ”यह वास्तव में अप्रत्याशित है, क्योंकि सतेंद्र आमतौर पर बहुत शांत व्यक्ति है।”