70 साल के हवाला कारोबारी हसन अली खान के खिलाफ कोर्ट ने आरोप तय किए। अली पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। ईडी ने 2007 में उसके ठिकानों पर छापेमारी की थी और साल 2011 में गिरफ्तार किया था..
मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में गिरफ्तारी के 11 साल बाद हवाला कारोबारी हसन अली के खिलाफ विशेष पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) अदालत ने आरोप तय किए। कोर्ट का यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब 70 वर्षीय पुणे स्थित स्टड फार्म के मालिक हसन अली खान गंभीर रूप से बीमार हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। हसन अली पर पीएमएलए 2002 की धारा 3 (मनी लॉन्ड्रिंग) और 4 (मनी लॉन्ड्रिंग के लिए सजा) के तहत आरोप लगाए गए हैं और इसलिए उन्हें तीन से सात साल के कारावास की सजा का सामना करना पड़ता है।
विशेष पीएमएलए न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने अपने वकील, वकील प्रशांत पाटिल की उपस्थिति में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अली के खिलाफ आरोप तय किए। हसन ने खुद को निर्दोष बताया।
बताते चलें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 7 मार्च 2011 को हसन अली खान को गिरफ्तार किया था। आयकर विभाग ने 5 जनवरी 2007 को मुंबई और पुणे में उनके आवासों पर रेड की थी। रेड के लगभग चार साल बाद और उनके परिसर में मिले दस्तावेजों से पता चला कि 15 जनवरी 2007 तक उनके एक स्विस बैंक खाते से 8 अरब डॉलर (करीब 36,000 करोड़) की राशि ट्रांसफर होने वाली थी।
संदिग्ध हस्तांतरण को रोकने के लिए ईडी अधिकारियों की एक टीम स्विट्जरलैंड गई और लेनदेन को रोकने और राशि को अवरुद्ध करने के लिए स्विस अधिकारियों को एक अनुरोध पत्र भी जारी किया था। हालांकि, स्विस अधिकारियों ने दावा किया कि उच्च मूल्य के हस्तांतरण का उल्लेख करने वाला दस्तावेज जाली था और लेनदेन के अधिक विवरण की मांग की ताकि वे भारतीय अनुरोध पर कार्रवाई कर सकें।
इस मामले में विशेष पीएमएलए अदालत ने गिरफ्तारी के मुश्किल से चार दिन बाद ही 11 मार्च 2017 को खान को जमानत दे दी थी। लेकिन 17 मार्च 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर रोक लगाई और फिर गिरफ्तार किया गया।
6 मई 2011 को ईडी ने खान और काशीनाथ तपुरिया के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया, जिन्होंने कथित तौर पर उनके एक विदेशी बैंक खाते को संचालित किया था। खान पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया था। मुख्य रूप से दो लेन-देन के मद्देनजर उन्होंने बैंक सरसिन स्विट्जरलैंड से बार्कलेज बैंक यूके में एसके फाइनेंशियल सर्विसेज के खाते में 7 लाख अमरीकी डॉलर ट्रांसफर किए थे और उन्होंने SBC सिंगापुर के पास अपने बैंक खाते में 93 मिलियन अमरीकी डॉलर प्राप्त हुए थे। हालांकि, दूसरी ओर कोलकाता के व्यवसायी तपुरिया का मुकदमा 15 अगस्त 2017 को खारिज हो गया था।