नई दिल्ली:
उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे में घर जलाने के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने नौ दोषियों को सात-सात साल कैद की सजा सुनाई है. साथ ही 21-21 हजार रुपये जुर्माना लगाया है. कड़कड़डुमा कोर्ट ने शिव विहार में रहने वाले मोहम्मद शाहनवाज उर्फ शानू, शाहरुख, राशिद उर्फ राजा, राशिद उर्फ मोनू, मोहम्मद फैसल, परवेज, अशरफ अली, मोहम्मद शोएब उर्फ छुटवा और आजाद को सजा सुनाते हुए कहा कि सभी दोषी मुस्लिम समुदाय से हैं और इन्होंने दंगाई साथियों के साथ मिलकर हिंदुओं की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से गैर कानूनी समूह बनाया था.
कोर्ट ने कहा कि, ऐसा करके ये हिंदू समुदाय में भय और असुरक्षा की भावना पैदा करना चाहते थे. इनकी हरकतों ने हमारे राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने, अर्थव्यवस्था और स्थिरता पर एक गहरा दाग छोड़ा है.
संविधान की प्रस्तावना को कोट करते हुए कोर्ट ने आदेश में कहा कि हमारा राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष है. देश की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए भाईचारा सबसे महत्वपूर्ण है. भाईचारे की भावना को चुनौती देना हमारी अखंडता के लिए भी चुनौती है.
कोर्ट ने कहा कि, साम्प्रदायिक दंगे हमारे देश के नागरिकों के बीच भाईचारे की भावना के लिए खतरा हैं. दंगे सार्वजनिक अव्यवस्था का सबसे हिंसक रूप है जो पूर्ण समाज को प्रभावित करता है. इससे न केवल जीवन और संपत्ति की हानि होती है बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी बहुत नुकसान पहुंचता है. इस दौरान निर्दोष लोग ऐसे परिस्थितियों की चपेट में आ जाते हैं, जो उनके नियंत्रण से बाहर होती हैं. इस मामले में दोषी साम्प्रदायिक दंगे में संलिप्त रहे जिसका प्रभाव न केवल प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों तक सीमित था, बल्कि इसने समाज में क्षेत्र की सीमा से परे लोगों की मानसिकता को प्रभावित किया.
अदालत ने कहा, इस प्रकार इस मामले में दोषियों द्वारा किए गए अपराध का प्रभाव केवल शिकायतकर्ता को हुए नुकसान तक ही सीमित नहीं है. बल्कि इनकी हरकतों ने हमारे राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने, अर्थव्यवस्था और स्थिरता पर एक गहरा घाव छोड़ा है. इनके अपराध ने सांप्रदायिक सद्भाव को खतरे में डालते हुए लोगों के बीच असुरक्षा की भावना पैदा की है.
दरअसल गोकलपुरी थाना क्षेत्र के शिव विहार तिराहा स्थित चमन पार्क में 24-25 फरवरी 2020 की दरम्यानी रात में दंगाइयों ने रेखा शर्मा के मकान में लूटपाट के बाद आग लगा दी थी.
मकान के ऊपरी तल पर बने कमरों को जला दिया गया था. इस मामले में पुलिस ने नौ लोगों को आरोपी बनाया था. उनके खिलाफ फरवरी 2022 में आरोप तय हुए थे. 13 मार्च को इन्हें इसी कोर्ट ने दोषी करार दिया था.