Shraddha Murder Case News Updates: अदालत ने दिल्ली पुलिस को श्रद्धा हत्याकांड के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला के नार्कोएनालिसिस टेस्ट की अनुमति दे दी है।
Shraddha Walker Murder Case: दिल्ली पुलिस श्रद्धा वालकर हत्याकांड के आरोपी आफताब पूनावाला का नार्को टेस्ट (Aftab Narco Test) कराने की तैयारी में है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस का कहना है कि आफताब पूछताछ में को-ऑपरेट नहीं कर रहा था। श्रद्धा के मोबाइल और शव को काटने में इस्तेमाल आरी की जानकारी नहीं दे रहा है।
इस बीच फॉरेंसिक विशेषज्ञों की एक टीम 27 वर्षीय श्रद्धा के शरीर के अंगों का निरीक्षण कर रही है, जिसे कथित तौर पर उसके लिव-इन पार्टनर आफताब पूनावाला ने दिल्ली में मार डाला था।
फॉरेंसिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में डीएनए सैंपलिंग की प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण है क्योंकि अब तक जो भी सैंपल मिले हैं वे पुराने हैं। विश्लेषण में कम से कम दो सप्ताह का समय लग सकता है।
क्या होता है नार्को टेस्ट?
नार्को टेस्ट का इस्तेमाल पुलिस झूठ पकड़ने के लिए करती है। नार्को टेस्ट के लिए संदिग्ध को ट्रुथ ड्रग नाम से आने वाली एक साइकोएक्टिव दवा दी जाती है या सोडियम पेंटोथोल का इंजेक्शन लगाया जाता है। ड्रग का डोज संदिग्ध के सेहत, उम्र और जेंडर को ध्यान रखकर तय किया जाता है। ड्रग शरीर में जाने के बाद व्यक्ति को अर्धबेहोशी की हालत में पहुंचा देता है।
अब सवाल उठता है कि इससे पुलिस झूठ कैसे पड़ती है? दरअसल इस वैज्ञानिक प्रयोगों पर आधारित तकनीक के असर आने पर पुलिस संदिग्ध से एक तय पैटर्न से सवाल पूछती है। अर्धबेहोशी की वजह से संदिग्ध अपने दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल कर नहीं पाता, इसलिए वह जानबूझकर झूठ बोलने में पूरी तरह सक्षम नहीं होता है। इसी स्थिति का फायदा उठाकर सच निकलाने की कोशिश की जाती है।
कौन करता है नार्को टेस्ट?
अदालत की मंजूरी मिलने पर नार्को टेस्ट के लिए पूरी एक टीम तैयार की जाती है, फॉरेंसिक एक्सपर्ट, जांच अधिकारी, डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक आदि को मिलकर काम करना होता है। उम्रदराज, मानसिक रूप से कमजोर, गंभीर बीमारियों से ग्रस्त और नाबालिग पर यह टेस्ट नहीं किया जाता है। पहले भी कई मामलों में नार्को टेस्ट का इस्तेमा हो चुका है, उनमें से कुछ चर्चित मामले हैं- तेलगी केस, आरुषि हत्याकांड और निठारी केस।