उत्तर प्रदेश में महिलाओं और बच्चियों का यौन उत्पीड़न करने वालों को अब अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी। इसके साथ ही दंगा करने वाले दंगाईयों और उपद्रवियों पर कम से कम पांच लाख रुपये का जुर्माना लगेगा।
उत्तर प्रदेश में महिलाओं के साथ हो रही रेप की घटनाओं को रोकने के लिए यूपी सरकार ने दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन ) विधेयक 2022 पारित किया गया। इसके मुताबिक महिलाओं और बच्चियों का यौन उत्पीड़न करने वालों को अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने विधानसभा में विधेयक पेश करते हुए कहा कि सीआरपीसी की धारा 438 की उपराधा 6 में अग्रिम जमानत का प्रावधान है जिसे खत्म किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि महिलाओं और बालिकाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 376ए, 376एबी, 376बी, 376सी, 376डी, 376डीए, 376डीबी और 376ई में अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी।
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने विधानसभा में विधेयक पास होने के बाद कहा कि महिलाओं और बालिकाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में जीरो टालरेंस की नीति के मद्देनजर सीआरपीसी की धारा-438 में संशोधन किया गया है। उन्होंने कहा कि बच्चियों और महिलाओं के साथ यौन अपराध करने वालों को सबूत नष्ट करने से रोकने और गवाओं को प्रताड़ित या भयभीत करने से रोकने के लिए ये विधेयक लाया गया है। उन्होंने आगे कहा कि जमानत ना मिलने की स्थिति में सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की संभावना कम होगी।
इसके अलावा दूसरा उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली (संशोधन) विधेयक 2022 है जो गुरुवार को दोनों सदनों से पारित हो गया। इस विधेयक के मुताबिक अगर दंगा, हिंसा या उपद्रव की वजह से किसी की मौत होती है तो दंगा फैलाने वाले से कम से कम पांच लाख रुपया मुआवजा वसूल किया जाएगा। पीड़ित का परिवार चाहे तो दंगाई से इससे ज्यादा पैसा भी मुआवजे के तौर पर मांग सकता है।
इसके अलावा विधेयक में ये भी शामिल है कि हड़ताल, दंगा, उपद्रव या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवी से नुकसान की वसूली की जाएगी। दोनों बिल विधानसभा से पास हो चुके हैं लेकिन अभी विधान परिषद और फिर राज्यपाल की मंजूरी की विधायी प्रक्रिया बाकी है।