यूपी में ट्रेजरी लेन-देन को मिला सुरक्षा कवच, तकनीकी खराबी के वक्त वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर करेगी काम

यूपी के कोषागारों की ऑनलाइन सिस्टम अब ओवरलोड होने या किसी अन्य तकनीकी खराबी के चलते क्रैश नहीं होगी। दरअसल राज्य ने एनआईसी की मदद से भुवनेश्वर में अपना डिजास्टर रिकवरी सेंटर स्थापित किया है।

यूपी के कोषागार का ऑनलाइन सिस्टम ओवरलोड होने या फिर किसी अन्य तकनीकी खराबी के चलते कभी भी क्रैश हो सकता था। नतीजा, यह होता कि प्रदेश भर के सभी कोषागारों में किया जा रहा सारा काम ठप होने से वित्तीय संकट पैदा हो सकता था। ऐसी नौबत न आए लिहाजा राज्य सरकार ने समय रहते इस बड़े खतरे को भांप वैकल्पिक उपाय कर लिया है। यूपी देश का पहला ऐसा राज्य है जिसने भुवनेश्वर में अपना डिजास्टर रिकवरी सेंटर (डीआरसी) स्थापित किया है।

प्रदेश में इस वक्त 78 राजकीय कोषागार हैं। इन कोषागारों से तकरीबन छह लाख करोड़ का सालाना लेनदेन होता है। इसी पैसे से तमाम सरकारी योजनाओं का संचालन होता है। वेतन, पेंशन, आपदा प्रबंधन सहित अन्य सभी भुगतान इसी से होते हैं। कोषागार निदेशालय के सूत्रों की मानें तो प्रदेश का मौजूदा डाटा सेंटर अपनी क्षमता के 99 फीसदी से ज्यादा लोड पर काम कर रहा है। जरा सा अतिरिक्त भार पड़ने पर सिस्टम बैठने लगता है।

एक अक्टूबर से काम करना शुरू कर देगा

ऐसे में कभी भी पूरे सिस्टम के क्रैश होने का खतरा रहता है। डाटा के बैकअप का भी कोई इंतजाम नहीं है। इन्हीं सब चीजों को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा बैकअप के लिए डिजास्टर रिकवरी सिस्टम एनआईसी की मदद से भुवनेश्वर में स्थापित कराया गया है। इस पर डाटा सिंकिंग का काम लगभग पूरा हो चला है। सब कुछ ठीक रहा है तो एक अक्तूबर से यह काम करना शुरू कर देगा। उसके बाद प्रदेश के पास अपने वित्तीय लेनदेन के लिए डीसी (डाटा सेंटर) और डीआर (डिजास्टर रिकवरी) का दोहरा सिस्टम होगा।

नहीं प्रभावित होगा काम

निदेशक कोषागार आलोक कुमार अग्रवाल का कहना है कि डाटा सेंटर के डाउन होने की स्थिति में डीएसआर तत्काल काम करना शुरू कर देगा। कोई भी प्राकृतिक आपदा या अन्य दिक्कत होने पर हमारे पास बैकअप उपलब्ध होगा। ट्रेजरी का काम कतई प्रभावित नहीं होगा।

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