झारखंड में जारी सियासी संकट के बीच छत्तीसगढ़ लाए गए विधायकों से मिलने देर रात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मेफेयर होटल पहुंचे। सीएम बघेल ने विधायकों से झारखंड की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर बात की।
झारखंड में जारी सियासी संकट के बीच छत्तीसगढ़ लाए गए विधायकों से मिलने देर रात सीएम भूपेश बघेल मेफेयर होटल पहुंचे। सीएम ने उनसे झारखंड की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर बात की। यूपीए गठबंधन के नेताओं ने उन्हें आश्वास्त किया कि सभी एकजुट हैं। हेमंत सोरेन सरकार को कोई खतरा नहीं है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधायकों से कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार राज्यों की विपक्षी सरकारों को तोड़ने में लगी है। सरकार गिराने हरसंभव कोशिश में हैं। सीएम ने कहा कि राजभवन ने अभी तक चुनाव आयोग की चिट्ठी नहीं खोली है, यानी कुछ योजना बनाई जा रही है। सभी को एकजुट रहने की जरूरत है। कुछ देर ठहरने के बाद मुख्यमंत्री बघेल वापस सीएम हाउस लौट गए।
सूत्रों के मुताबिक सीएम भूपेश ने कांग्रेस ने झारखंड प्रभारी अविनाश पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और मंत्री रामेश्वर उरांव से पूरे मामले को लेकर मंत्रणा की। सभी ने एकजुट होने की बात कहते हुए झारखंड में सरकार को कोई खतरा नहीं होने की बात कही। सीएम ने कहा कि राजभवन ने अभी तक चुनाव आयोग की चिट्ठी नहीं खोली है यानी कुछ योजना बनाई जा रही है। वो चिंतित हैं, क्योंकि अगर झारखंड में विधायकों को मुक्त कर दिया जाता तो उन्हें खरीदने का मौका मिल जाता या 20 करोड़ रुपये देने का मौका मिलता। सीएम भूपेश बघेल ने सभी विधायकों को एकजुट रहने की बात कही है। बता दें कि महाराष्ट्र की तरह सत्ता गंवाने से बचने झारखंड के विधायकों को छत्तीसगढ़ लाया गया है। झमुमो ने भाजपा पर सरकार को गिराने की साजिश का आरोप लगाया है। हार्स ट्रेडिंग रोकने यूपीए के 32 विधायकों को रायपुर लाया गया है, जिसमें 5 मंत्री भी शामिल हैं। कांग्रेस के बादल पत्रलेख, डॉ. रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता, आलमगिर आलम और राजद के सत्यानंद भोक्ता रायपुर में हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा कोटे का कोई मंत्री झारखंड से रायपुर नहीं आए हैं।
मेफेयर रिसॉर्ट में सुरक्षा का तगड़ा घेरा
बता दें कि पत्थर खनन आवंटन मामले में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट केस का सामना कर रहे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को महागठबंधन के विधायकों में सेंधमारी का डर सता रहा है। ऐसे में महागठबंधन के सभी विधायकों को कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ लाया गया है। सरकार ने इंडिगो का प्लेन कराया बुक कराया था। सभी विधायक 30 अगस्त को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट पर उतरे। यहां से उन्हें नवा रायपुर ले जाया गया। मेफेयर रिजॉर्ट को 30 और 31 तारीख के लिए बुक किया गया है। यूपीए के विधायकों की सुरक्षा के लिए होटल को हाई सिक्योरिटी जोन घोषित किया गया है। एक आईपीएस, एक डीएसपी और 2 इंस्पेक्टर के नेतृत्व में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है। विधायकों की बाड़ेबंदी की वजह से वहां पुलिस की सुरक्षा का तगड़ा घेरा बनाया गया है। रिसॉर्ट के चुनिंदा कर्मचारियों को छोड़कर झारखंड के विधायकों तक किसी को जाने की इजाजत नहीं है।
सीएम की सदस्यता रद्द होने की आशंका
झारखंड में सियासी संकट के बीच 27 अगस्त को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा और यूपीए के कुल 41 विधायकों को लेकर खूंटी में लतरातू डैम पर बने रिसॉर्ट में पहुंचे थे। सीएम सीएम सहित सभी विधायकों के छत्तीसगढ़ आने की चर्चा हो रही है। यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द होने की आशंका है। चुनाव आयोग से राज्यपाल को पत्र भेजे जाने की बातें पिछले 4 दिनों से सियासी गलियारों में चल रही है। वहीं पलामू में महादलितों पर हुए अत्याचार और दुमका में अंकिता सिंह की मौत मामले में भाजपा झारखंड सरकार पर हमलावर है। इधर छत्तीसगढ़ में यूपीए गठबंधन के विधायकों को लाए जाने पर छत्तीसगढ़ भाजपा ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा है।