श्री कृष्ण जन्माष्टमी इस बार शुक्रवार को लक्ष्मी योग व ध्रुव योग में एक साथ मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य पंडित मार्कण्डेय दुबे के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी
श्री कृष्ण जन्माष्टमी इस बार शुक्रवार को लक्ष्मी योग व ध्रुव योग में एक साथ मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य पंडित मार्कण्डेय दुबे के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की मध्य रात्रि में अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र में वृषभ राशि में चंद्रमा व वृषभ लग्न में भगवान श्रीकृष्ण का मथुरा में कंश के कारागार में अवतार हुआ था। इसी कारण प्रत्येक वर्ष इस दिन सभी लोग जन्माष्टमी का व्रत करते हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर शुक्रवार को सुबह 9.48 बजे से चंद्रमा व मंगल दोनों ही वृष राशि में रहेंगे, जिससे महालक्ष्मी योग बनेगा। इस दिन सूर्य व बुध भी एक साथ सिंह राशि में रहेंगे जिससे बुधादित्य योग बनेगा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत के दिन दैनिक योगों में ध्रुव नामक योग रात्रि 1.6 बजे तक रहेगा। शुक्रवार को कृतिका नक्षत्र है जिससे क्षत्र नामक योग बन रहा है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पूजन करने की विधि
ज्योतिषाचार्य के अुनसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह में उठकर स्नान आदि कर पीला वस्त्र पहनकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इसके बाद घर के मंदिर में धूप-दीप जलाकर सभी देवी-देवताओं की पूजा करें। साथ ही भगवान लड्डू गोपाल को दूध-केसर से स्नान कराएं व उन्हें पालने में बैठा दें। इसके बाद आसनी लगाएं व हाथ में जल लेकर भगवान श्री कृष्ण के मंत्र, विष्णु सहस्त्रनाम अथवा नारायण स्त्रोत का पाठ करेंl ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। जन्माष्टमी व्रत करने पर उपवास में रहकर फलाहार रहें व मन में अच्छे विचारों का स्थान रखेंl भगवान श्री कृष्ण के सामने व्रत करने का संकल्प लें और श्री कृष्ण का झूला सजाने के साथ उनका श्रृंगार करें। इस दिन श्रीकृष्ण का बांसुरी, मोर मुकुट, वैजयंती माला कुंडल, कुंडली, तुलसी दल आदि से श्रृंगार किया जाता है। इसके साथ उन्हें मक्खन, मिठाई, मेवे व मिश्री का भोग लगाया जाता है।