छत्तीसगढ़ BJP की राजनीति में बड़ा उथल-पुथल देखने को मिल रहा है। प्रदेश अध्यक्ष के बाद भाजपा अब अपना नेता प्रतिपक्ष बदलने जा रही है। दोपहर को विधायक दल की बैठक में नाम तय होने की चर्चा है।
छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में बड़ा उथल-पुथल देखने को मिल रहा है। प्रदेश अध्यक्ष के बाद भाजपा अब अपना नेता प्रतिपक्ष बदलने जा रही है। दोपहर को विधायक दल की बैठक में नाम तय होने की चर्चा है। भाजपा में बदलाव का सिलसिला यही नहीं थमेगा। संगठन में और भी प्रमुख चेहरों को बदला जाएगा। भाजपा में यह सर्जरी मिशन-2023 के चुनावों के मद्देनजर की जा रही है। बैठक में छत्तीसगढ़ की प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी, सहकारी प्रभारी नितिन नवीन और क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल भी शामिल होंगे। विधायक दल की बैठक में बंद लिफाफे से नाम निकलेगा।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने के बाद अब नेता प्रतिपक्ष बदले जाने की सियासी सियासी बाजार में उबाल मार रही है। बदलाव को लेकर बैठकों का दौर जारी है। मिशन-2023 के मद्देनजर भाजपा अपनी जमीन मजबूत करने बड़े फैसले ले रही है। राष्ट्रीय नेतृत्व के सख्त रूप से छत्तीसगढ़ के कई नेताओं की सांसें सांसें हलक पर अटकी हुई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि बुधवार दोपहर तक भाजपा आलाकमान नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मुहर लगा सकता है। छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि रायपुर में पार्टी की बैठकें होनी है। बैठक में जो चर्चा होगी, वो सबके सामने होगा। बता दें कि धरमलाल कौशिक और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव दोनों बिलासपुर जिले से ही आते हैं, इसलिए किसी दूसरेर जिले को प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है।
नेता प्रतिपक्ष के लेकर इन नामों पर चर्चा
छत्तीसगढ़ भाजपा में नेता कई गुटों में बंटे हुए हैं। राष्ट्रीय नेतृत्व ने गुटबाजी से बचने ही आरएसएस की पसंद से प्रदेश अध्यक्ष को बदला है। सूत्रों के मुताबिक नए नेता प्रतिपक्ष को चुनने भाजपा के विधायक 2 खेमे में बंट चुके हैं। एक खेमा चाहता है कि शिवरतन शर्मा, नारायण चंदेल और अजय चंद्राकर को बनाया जाए। वहीं दूसरा खेमा पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह या बृजमोहन अग्रवाल को नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहता है। भाजपा हाईकमान ने किस नाम पर मुहर लगाई है, इसे लेकर प्रदेश में राजनीतिक चर्चा जारों पर है। सबकी नजर भाजपा की बैठक पर टिकी है। बता दें कि 9 अगस्त को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को बदला गया था। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक को दिल्ली बुलाया गया। इसके बाद से बदलाव की सियासी हलचल तेज हो गई थी।
विधानसभा चुनाव में होगी बड़ी जिम्मेदारी
पार्टी सूत्रों की मुताबिक संगठन में एकाधिकार खत्म करने लगातार नए चेहरे सामने लाए जाने की मांग उठती रही है। लगातार हार से भाजपा के प्रदेश नेतृत्व पर सवाल उठ रहे थे। अब मिशन-2023 से पहले भाजपा बदलाव के एक्शन मोड में नजर आ रही है। प्रदेश में ऐसी चर्चा है कि नेता प्रतिपक्ष का जिम्मा जिसे मिलेगा, सियासी तौर पर उसका सिक्का बुलंद होगा। आगामी चुनावों में प्रदेश में भाजपा की स्थिति बेहतर करने में उसका अहम योगदान होगा। अगर भाजपा 2023 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत मिली तो उसे मुख्यमंत्री की रेस में बड़े दावेदार के तौर पर पेश किया जाएगा।