इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि विवेचक का केस डायरी में प्रत्येक गिरफ्तारी का कारण लिखना अनिवार्य होगा। पुलिस को गिरफ्तारी से पहले अर्नेश कुमार बनाम बिहार केस पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के सिद्धांत के तहत विवेचक का केस डायरी में प्रत्येक गिरफ्तारी का कारण लिखना अनिवार्य है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पुलिस को गिरफ्तारी से पहले अर्नेश कुमार केस में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए, क्योंकि सीआरपीसी की धारा 41ए भारतीय संविधान के अनुछेद 21 में वर्णित दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार से ओतप्रोत है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति उमेश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने अलीगढ़ के अनिल नागर की याचिका पर की है। याची ने अलीगढ़ के टप्पल थाने में लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम एवं आईपीसी की धाराओं में दर्ज मुकदमे में गिरफ्तारी से राहत पाने के लिए याचिका की थी। याची ने मुकदमे में गिरफ्तारी की आशंका जताते हुए सीआरपीसी की धारा 41ए एवं गिरफ्तारी के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन कराने की मांग की।
कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसियों के लिए सीआरपीसी की धारा 41 और 41ए एवं अरनेश कुमार केस की गाइडलाइन का अनुपालन बाध्यकारी है। कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को संविधान के अनुच्छेद 21 में दैहिक स्वतंत्रता प्रदान की गई है। जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने भी विभिन्न मामलों में जमानत को नियम एवं गिरफ्तारी को अपवाद बताया है।
विवेचक द्वारा गिरफ्तारी के नियमों की अवहेलना पर अदालतों को भी कार्रवाई करनी चाहिए। इसी के साथ कोर्ट ने मुकदमे के विवेचक को गिरफ्तारी नियमों का पालन करने का निर्देश देते हुए याचिका निस्तारित कर दी।