बुंडेलखंड में यमुना और बेतवा नदी का जलस्तर बढ़ने से तई गांवों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। यमुना किनारे बसे सैकड़ों हेक्टेयर खरीफ की फसल जलमग्न हो गई है।
बुंदेलखंड में यमुना, बेतवा और केन नदियों का जलस्तर बढ़ने से तबाही शुरू हो गई है। यमुना के किनारे के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। इतना ही नहीं सैकड़ों हेक्टेयर खरीफ की फसल जलमग्न हो गई है। इसको देखते हुए प्रशासन ने नदी के किनारे बसे गांवों को अलर्ट जारी करते हुए बाढ़ चौकियां बनाने की कवायद शुरू कर दी है। इसके साथ ही आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं।
माताटीला बांध से शुक्रवार को लगभग 25136 क्यूसेक और राजस्थान के कोटा बैराज से दो लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से बुंदेलखंड में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। वहीं, राजघाट बांध से पौने दो लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से बेतवा अपने पूरे सितम पर है। हालांकि प्रसाशन ने बाढ़ प्रभावित गांवों के ग्राम प्रधान, ग्राम निगरानी समिति, लेखपाल, सचिव सहित अन्य सभी को सतर्क रहने की सलाह दी है। साथ ही ग्रामीणों को उचित स्थानों पर पहुंचाने के निर्देश दिए हैं।
उरई के रामपुरा में अस्त वस्त हुआ जीवन
रामपुरा बीहड़ क्षेत्र में हर साल बाढ़ के कारण जन जीवन और आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। पिछले साल भी अगस्त महीने में बाढ़ से 365 परिवारों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ा था, जबकि सरकार से भी 100 से अधिक परिवारों की आर्थिक मदद संभव हो सकी थी। इस बार भी पंचनद में बाढ़ के संकेत गहरे होते दिखाई दे रहे हैं।
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित राजघाट बांध और ललितपुर में स्थित माताटीला बांध से 25136 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद बाढ़ या जलभराव की संभावना को देखते हुए ललितपुर और झांसी दोनों ही जिलों में बेतवा नदी के तट पर बसे गांव को अलर्ट जारी किया गया है। यमुना, पहुज और बेतवा में पानी छोड़े जाने से नदियों का जलस्तर बढ़ा है। इसे लेकर पिछले साल भी बाढ़ के कारण निनावली जागीर, बिल्हौड़, जखेता, हुकुमपुरा, डिकौली जागीर, सुल्तानपुरा, अंदेला मड़ैया, सहित दो दर्जन के करीब गांव प्रभावित हुए थे।
कालपी में बढ़ा नदियों का जलस्तर
केंद्रीय जल आयोग कार्यालय कालपी के प्रभारी अधिकारी रूपेश कुमार ने बताया कि पिछले दिनों राजस्थान के कोटा बैराज से पानी यमुना नदी में छोड़ा जा चुका है। जिसके फलस्वरूप यमुना नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने बताया कि गुरुवार की दोपहर को जलस्तर बढ़ कर 98.42 मीटर पर पहुंचा है।
शनिवार को जलस्तर 98.50 मीटर पर चल रहा है। कोटा बैराज से पानी छोड़ने के कारण उम्मीद जताई गई है कि आगामी 1 से 2 दिनों में जलस्तर के तेजी से बढ़ने की संभावना है। कालपी में यमुना नदी का खतरे का लाल निशान 108 मीटर में है। हालांकि यमुना नदी का जलस्तर शनिवार की शाम तक थम गया है।
ललितपुर में लबालब हुआ बांध
मघ्य प्रदेश में भोपाल व आस पास जनपद में हो रही बारिश के चलते राजघाट बांध लबालब हो गया है। बीते रोज राजघाट बांध का जलस्तर 369.55 मीटर था, जबकि शनिवार को इस बांध में 369.80 मीटर तक पानी पहुंच गया। जिस कारण सिंचाई विभाग अधिकारियों ने एक लाख से बढ़ाकर एक लाख पचहत्तर हजार क्यूसेक पानी छोड़ा। इतनी अधिक मात्रा में पानी छोड़े जाने से बेतवा हिलोरे मारने लगी।
सिंचाई विभाग अधिकारियों ने राजस्व और पुलिस अफसरों के माध्यम से रानीपुरा, मैलार, चमरऊवा, देवरी, लागौन और करमुहारा आदि गांवों में रहने वाले लोगों को अलर्ट कर दिया गया है। नदी के आस पास खेतों में नहीं जाने की हिदायत दी गई। बेतवा के किनारे, टापुओं व दूसरे छोर पर खेती करने वाले लोगों को आवागमन से रोका गया। बेतवा की आगे बढ़ती लहरें माताटीला बांध में एकत्रित होने लगी।
जिसकी वजह से माताटीला का जलस्तर 307.85 मीटर से अधिक होने पर सिंचाई विभाग अधिकारियों ने इस बांध के गेट खोलकर एक लाख बासठ हजार क्यूसेक पानी बेतवा में छोड़ना शुरू कर दिया है। पुलिस व राजस्व अफसरों ने थाना गांव, झरर, हनौता, गेवरा गुंदेरा, वर्मा विहार, कंधारीकलां, उगरपुर सहित कई ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को सचेत कर दिया। दोनों बांधों पर तैनात सिंचाई विभाग के अफसर बारिश व पानी की आवक पर नजर रखे हैं।
361.58 मीटर पहुंचा गोविंद सागर का जलस्तर
बीते दो दिनों में शहरी व आस पास क्षेत्र में बारिश होने की वजह से गोविंद सागर बांध का जलस्तर कुछ सुधरा है। बीते रोज 361.40 मीटर जलस्तर था जो शनिवार को 361.54 मीटर पहुंच गया। बांध में 14 सेंटीमीटर पानी भण्डारित हुआ है। जानकारों के मुताबिक बांध के जलभण्डारण से पीने के पानी का इंतजाम हो गया है। फसलों को भी कुछ पानी मिल सकेगा।