शिवपाल को फिर आई मुलायम सिंह यादव के दौर की याद, बोले-अखिलेश यादव में नहीं है लोगों को जोड़ने का गुण, ये ‘नेताजी’ में है

अखिलेश याादव द्वारा सपा से ‘आजाद’ किए जाने के बाद शिवपाल सिंह यादव को एक बार फिर मुलायम सिंह यादव के दौर की याद आ रही है। उन्‍होंने कहा-अखिलेश यादव में लोगों को जोड़ने का गुण नहीं है। नेताजी में है।

अखिलेश यादव द्वारा ‘आजाद’ किए जाने के बाद शिवपाल सिंह यादव को मुलायम सिंह यादव के लोगों को जोड़कर रखने के गुण की याद आ रही है। उन्‍होंने सपा से आजाद करने कर का पत्र जारी करने को अखिलेश यादव की अपरिपक्‍वता का उदाहरण बताते हुए कहा कि लोगों को जोड़ने का गुण उनमें नहीं है। उन्‍होंने कहा कि सपा से आजाद करने का लेटर जारी कर दिया तो वह मुझे विधानमंडल दल से ही क्‍यों नहीं निकाल देते हैं।

शिवपाल यादव और समाजवादी पार्टी के संरक्षक उनके बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के सम्‍बन्‍ध मुश्किल से मुश्किल दौर में भी काफी अच्‍छे रहे हैं। भतीजे अखिलेश यादव से नाराजगी के बीच पिछले दिनों एक मौके के अलावा शिवपाल ने कभी किसी बयान में मुलायम सिंह यादव पर निशाना नहीं साधा था। मुलायम भी गाहे-बेगाहे सपा को खड़ा करने में अपने छोटे भाई के योगदान का उल्‍लेख करते हैं। इस बीच राष्‍ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्‍मीदवार द्रौपदी मुर्मू का खुल्‍लमखुल्‍ला समर्थन कर शिवपाल यादव ने नए राजनीतिक संकेत दिए तो अखिलेश यादव के आदेश पर समाजवादी पार्टी ने शिवपाल सिंह यादव को ‘जहां सम्‍मान मिले वहां जाएं’ और ‘सपा की ओर से आजादी’ का संदेश दे दिया। अब शिवपाल को एक बार फिर पार्टी में मुलायम सिंह दौर याद आ गया है।

शिवपाल यादव का कहना है कि उन्हें सपा से आजाद करने का पत्र जारी करना अखिलेश यादव की राजनीतिक अपरिपक्वता ही है। वह मुझे विधानमंडल दल से ही क्यों नहीं निकाल देते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अखिलेश में लोगों को जोड़ने का गुण नहीं है। यह गुण नेताजी में है। शिवपाल ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सपा से आजाद होने का कोई मतलब ही नहीं है क्योंकि संविधान के अनुसार हम सभी स्वतंत्र हैं। जब मैंने चुनाव लड़ा था, अपनी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।

उस समय सपा की सदस्यता ली थी। चुनाव जीतने के बाद किसी भी बैठक में उन्हें बुलाया नहीं गया। इसके बाद भी अब स्वतंत्र होने की बात कहना समझ से परे है। अच्छा होता अगर वे मुझे पार्टी और विधानमंडल दल से निकाल देते। समाजवादी पार्टी अब लगातार सियासी तौर पर गर्त में जा रही है।

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