पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला को करीब 8 से 10 हमलावरों ने 30 से अधिक गोलियां मारी थी। इतनी गोलियां चलाने के बाद भी हमलावरों ने चेक किया कि वह जिंदा हैं या नहीं और फिर भाग खड़े हुए थे।
पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड की गुत्थी अभी तक पूरी तरह से सुलझ नहीं पाई है। घटना को लेकर हर दिन कुछ न कुछ नई जानकारियां सामने आ रही है। शनिवार को जो जानकारी सामने आई है उससे यह पता चलता है कि कनाडा में बैठे गैंगस्टर गोल्डी बराड़ मुख्य शूटर से बराबर संपर्क में था और फोन पर लगातार निर्देश दे रहा था। इस मामले में पुलिस की ओर से कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है तो कुछ अभी भी फरार है। फोन कॉल के जरिए हुई बातचीत की कुछ रिकॉर्डिंग सामने आई है।
शूटर और गोल्डी बरार के बीच हुई फोन पर बातचीत से पता चलता है कि 28 मई की दोपहर में मूसेवाला की सुरक्षा में कटौती के आदेश आते ही हत्यारे घटना को अंजाम देने के लिए तेजी से एक्टिव हो गए थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाबी सिंगर की हत्या के एक दिन पहले यानी 28 मई को घटना में शामिल मुख्य शूटर प्रियव्रत उर्फ फौजी के पास गोल्डी बराड़ का फोन आया था।
गोली ने फोन पर बोला था- काम कल ही करना है
फोन पर गोल्डी बराड़ ने प्रियव्रत को बताया कि सुरक्षा कवर हटा लिया गया है, ‘फौजी तुम्हे काम कल ही (29 मई) करना है।’ वहीं फौजी ने गोल्डी बराड़ को डॉक्टर कहकर संबोधित किया है। इसके अलावा 29 मई की शाम करीब साढ़े चार बजे एक और कॉल किया गया जिसमें ‘डॉक्टर’ को बताया कि मूसेवाला घर से बाहर जा रहा है। मूसेवाला की हत्या के बाद 29 मई को रिकॉर्ड की गए एक और बातचीत से पता चलता है कि फौजी ने डॉक्टर को फोन किया था और कहा था कि काम कर दिया।
35 दिनों में आरोपियों ने 35 ठिकाने बदले
सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में गिरफ्तार अंकित सिरसा और उसकी गैंग के लोग वारदात को अंजाम देने के बाद सात राज्यों में छिपकर रह रहे थे। दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर एचजीएस धालीवाल ने बताया कि फरारी के 35 दिनों में आरोपियों ने 35 ठिकाने बदले, ताकि पुलिस को इनका पता नहीं चले। दिल्ली आते ही पुलिस ने इन्हें धर दबोचा। स्पेशल सेल ने यह भी खुलासा किया कि शूटर और उन्हें शरण देने वाले खासतौर से यूपी, हरियाणा, झारखंड, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में अपने ठिकाने बनाते जा रहे थे।
नौ दिन तक मानसा में छिपे रहे
पूछताछ में प्रियव्रत फौजी ने बताया है कि हत्या के बाद नौ दिन तक मानसा में छिपे रहे। इसके बाद वह लगातार ठिकाने बदलते रहे। अंत में गुजरात पहुंचे। अंकित ने बताया कि वे 2 से 7 जून तक गुजरात के कच्छ में रुके। इसके बाद फौजी बिना मास्क के घूमने लगा। इस वजह से अंकित, दीपक और सचिन भिवानी वहां से भाग निकले।