राम रहीम को पिछले दिनों एक महीने के लिए जेल से पैरोल पर छोड़ा गया तो वह बागपत आश्रम में आ गए और प्रवचन देने लगे। उन्होंने एक वीडियो जारी कर अपने अनुयायियों को संबोधित किया। आम दिखाए और कई बातें की। इस दौरान कुछ लोग उनके हावभाव को देखकर शंका में पड़ गए ये असली हैं या नकली।
नई दिल्ली: ‘बाबा लव चार्जर’ राम रहीम का कुछ दिन पहले वीडियो सामने आया, जिसमें वह बागपत आश्रम में आमों के पेड़ के पास बात करते दिखे। लेकिन कुछ समर्थकों ने दावा कर सनसनी मचा दी कि यह नकली राम रहीम हैं। इस वीडियो में राम रहीम क्रीम कलर के कुर्ते में दिखाई दिए थे। उनके ही अपने समर्थकों ने 54 पेज की याचिका हाई कोर्ट में दायर कर दावा किया कि बागपत के बरनावा आश्रम में जो शख्स रह रहा है वह नकली राम रहीम है। आगे कहा गया कि असली राम रहीम तो जेल से बाहर आने के बाद ही अगवा हो चुके हैं। कहा गया कि राम रहीम के खिलाफ बड़ी साजिश की गई है। हालांकि आज हाई कोर्ट में उनकी दलीलें हवा हो गईं और कोर्ट ने जमकर सुनाया।
लंबाई बड़ी, पैर का पंजा भी
दरअसल, राम रहीम का वीडियो देखने के बाद एक समर्थक मीडिया में सामने आया और कहा, ‘मुझे पूरा यकीन है कि यह व्यक्ति पिता जी नहीं हैं। ये कोई और हैं क्योंकि इसका स्वभाव, व्यवहार, इसकी चाल-ढाल सब कुछ अलग है।’ याचिका में कहा गया कि शरीर और आवाज दोनों अलग है। डुप्लीकेट राम रहीम की लंबाई एक इंच बड़ी है। हाथ की अंगुलियां बड़ी हैं। पैर का पंजा भी बड़ा है। आंख का शेप बदल गया है। आंख की साइज छोटी हो गई है। सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें वायरल हुईं। पुरानी और नई तस्वीरों का मिलान किया गया।
दरअसल, राम रहीम का वीडियो देखने के बाद एक समर्थक मीडिया में सामने आया और कहा, ‘मुझे पूरा यकीन है कि यह व्यक्ति पिता जी नहीं हैं। ये कोई और हैं क्योंकि इसका स्वभाव, व्यवहार, इसकी चाल-ढाल सब कुछ अलग है।’ याचिका में कहा गया कि शरीर और आवाज दोनों अलग है। डुप्लीकेट राम रहीम की लंबाई एक इंच बड़ी है। हाथ की अंगुलियां बड़ी हैं। पैर का पंजा भी बड़ा है। आंख का शेप बदल गया है। आंख की साइज छोटी हो गई है। सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें वायरल हुईं। पुरानी और नई तस्वीरों का मिलान किया गया।
आज पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में गुरमीत राम रहीम मामले में सुनवाई हुई। असली और नकली की दलीलें दी गईं लेकिन कोर्ट ने याचिका को ही खारिज किया। साध्वी से रेप के दोषी राम रहीम एक महीने की पैरोल पर बाहर है।
कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि इस तरह की याचिका सुनने के लिए कोर्ट नहीं बनी है। हाई कोर्ट ने कहा कि याचिका में जो आरोप लगाए गए हैं, वे केवल फिल्मों में ही संभव हैं। जज ने कहा कि ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता ने फिक्शन फिल्म देख ली है। कोर्ट ने कहा कि याचिका दायर करने से पहले याचिकाकर्ताओं को अपना दिमाग भी लगाना चाहिए।