27 जिलों में प्राकृतिक खेती के लिए अभियान शुरू, योगी बोले-जरूरत पड़ी तो प्रोत्साहन बोर्ड बनेगा

बुन्देलखंड के सात व गंगा किनारे के 27 जिलों में प्राकृतिक खेती बढ़ाने का अभियान शुरू हो गया है। सीएम योगी ने कहा कि किसान जैविक की जगह प्राकृतिक खेती करें। जरूरत पड़ी तो प्रोत्साहन बोर्ड बनेगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक पृथक बोर्ड भी गठित किया जाएगा। फिलहाल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गंगा किनारे के 27 और बुन्देलखंड के सात कुल मिलाकर 34 जिलों में एक अभियान शुरू किया गया है।

मुख्यमंत्री ने यह बातें सोमवार की शाम यहां होटल ताज में प्राकृतिक खेती पर विश्व बैंक के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के पहले दिन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि एक जिला एक उत्पाद योजना की तर्ज पर अब कृषि क्षेत्र में हर जिले की एक विशेष उपज-एक उत्पाद को बढ़ावा दिया जाएगा। जैसे सिद्धार्थनगर में काला नमक चावल और मुजफ्फरनगर में गुड़।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सतत समान विकास प्राकृतिक खेती और सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग के प्रोत्साहन से ही सम्भव होगा। प्रदेश के हर जिले और नौ क्लाइमेटिक जोन में यह मिशन चलाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों की वजह से आज फूलों से खुशबू गायब हो गई, फलों व खाद्यान्न से स्वाद व पोषण खत्म हो रहा, बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। इन सबकी रोकथाम के लिए धरती मां की रक्षा जरूरी है और यह प्राकृतिक खेती के जरिए ही हो सकेगा।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि आज हम देश में विदेश से रासायनिक उर्वरक मंगाने पर एक लाख साठ हजार करोड़ रुपये खर्च करते हैं। यह रासायनिक उर्वरक खेतों में पड़ता है तो जहरयुक्त खाद्यान्न पैदा होता है, ऐसा भोजन बीमार बनाता है। दवाओं पर भारी खर्च डालता है। इससे बचने के लिए रासायनिक खेती से मुक्ति पानी होगी और अब जैविक खेती नहीं बल्कि प्राकृतिक खेती अपनानी होगी।

उन्होंने विस्तार से जैविक और प्राकृतिक खेती के अन्तर को स्पष्ट करते हुए कहा कि जैविक खेती में भारी मात्रा में गोबर का प्रयोग होता है, जिससे उत्पादन नहीं बढ़ता बल्कि खेतों में खरपतवार बढ़ता है जबकि प्राकृतिक खेती में कम मात्रा देसी गाय के गोबर और गोमूत्र से ही प्राकृतिक खेती की जा सकती है। इससे न केवल खेती का खर्च कम होता है बल्कि उत्पादन भी बढ़ता है और जो भी पैदावार होती है वह जहरमुक्त होती है।

उन्होंने प्राकृतिक खेती के लिए देसी गाय के गोबर, गोमूत्र, बेसन, गुड़ व वटवृक्ष की मिट्टी से जीवामृत, घन जीवामृत बनाने का फार्मूला भी समझाया। उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से खेतों में आर्गेनिक कार्बन ढाई प्रतिशत से घटकर दशमलव तीन या चार प्रतिशत पर आ गया जबकि प्राकृतिक खेती के लिए तैयार किए जाने वाले जीवामृत या घन जीवामृत से आर्गेनिक कार्बन बढ़ता है।

इस कार्यक्रम में कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र, कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह, विश्व बैंक के स्थानीय अधिकारी तथा बड़ी तादाद में प्रगतिशील किसान शामिल हुए।

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