कानपुर में ज्यादातर शत्रु संपत्तियों पर भूमाफिया ने कब्जा कर लिया है। शुक्रवार को जिस नई सड़क और दादा मियां का हाता इलाके में उपद्रव हुआ उसके आस-पास में बड़ी तादाद में शत्रु संपत्तियां हैं।
बीते जुमे की नमाज के बाद कानपुर में उपद्रवियों ने सड़कों पर जमकर उत्पात मचाया। पत्थरबाजी की। नई सड़क और दादा मियां का हाता इलाके में जमकर उपद्रव हुआ। हिंसा के पीछे पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया, एमएमए जौहर फैन्स असोसिएशन के साथ-साथ डी-2 गैंग का कनेक्शन सामने आ रहा है। दो दशक पहले दहशत का पर्याय बने डी-2 गैंग का चैप्टर पुलिस रिकॉर्ड में भले ही सालभर पहले क्लोज हो गया हो, लेकिन हिंसा में अब उसका कनेक्शन सामने आ रहा है। दरअसल, शहर के भूमाफिया से डी-2 गैंग का कनेक्शन सामने आ रहा है, जिसकी हिंसा में भूमिका की जांच हो रही है।
कानपुर में 89 शत्रु संपत्ति की पहचान, ज्यादातर पर भूमाफिया का कब्जा
प्रशासन ने कानपुर में 89 शत्रु संपत्तियों की पहचान की है जिनकी कीमत अरबों रुपये है। सबसे पहले समझते हैं कि आखिर शत्रु संपत्ति क्या है। दरअसल दो देशों के बीच युद्ध छिड़ने पर ‘दुश्मन देश’ के नागरिकों की संपत्तियों पर सरकार कब्जा कर लेती है। जैसे फर्स्ट और सेकंड वर्ल्ड वॉर के वक्त अमेरिका और ब्रिटेन ने जर्मनी के लोगों की संपत्तियों को इसी आधार पर अपने कब्जे में ले लिया। भारत की बात करें तो 1962 में चीन से, 1965 और 1971 में पाकिस्तान से जंग के बाद भारत में स्थित इन दोनों देशों के नागरिकों की संपत्ति को सरकार ने अपने नियंत्रण में ले लिया। शत्रु संपत्तियों की देखरेख के लिए सरकार कस्टोडियन रखती है। उनका मालिकाना हक सरकार के पास होता है। इनसे जुड़े विवाद की सुनवाई निचली अदालतों में नहीं हो सकती। भारत में सबसे ज्यादा शत्रु संपत्तियां उन लोगों से जुड़ी हैं जो 1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए। सरकार ने जनवरी 2020 में लोकसभा में ये जानकारी दी थी कि भारत में कुल 12,426 शत्रु संपत्तियां हैं जिनकी कीमत 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है।
मजहब के नाम पर युवाओं को भड़काने के पीछे गैंग का दबदबा बनाए रखने की चाल
कानपुर में दो-तीन दशक पहले 5 भाइयों अतीक, शफीक, बिल्लू, बाले और अफजाल ने डी-2 गैंग खड़ा किया। रंगदारी, अपहरण, फिरौती, ड्रग्स और हथियारों की तस्करी, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग, वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर करना इस गैंग का मुख्य काम था। देखते ही देखते डी-2 गैंग अंतरराज्यीय गैंग के तौर पर उभरा जो यपी के अलावा दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल में आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने लगा। डी-2 गैंग दाऊद इब्राहिम के डी गैंग की तर्ज पर यूपी में साम्राज्य खड़ा करना चाहता था। इस गैंग के आतंकी कनेक्शन भी सामने आए। 5 भाइयों में से 3 की मौत हो चुकी है। रफीक की 2005 में हत्या हो गई। मुंबई जेल में शफीक की मौत हो चुकी है। बिल्लू भी अब इस दुनिया में नहीं है। अतीक आगरा जेल में बंद है। उसके खिलाफ 45 मुकदमे दर्ज हैं। अफजाल कुछ ही दिन पहले जेल से बाहर आया है।