प्रदेश के 22 हजार से ज्यादा डाक्टरों ने मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल में अपने पंजीयन का दोबारा सत्यापन नहीं कराया है। इसकी वजह कई डाक्टरों का एमबीबीएस के आधार पर पंजीकृत होना है। जबकि कई ने एमडी-एमएस और सुपर स्पेशियलिटी कोर्स भी कर लिया है और वे इसी आधार पर प्रैक्टिस कर रहे हैं, लेकिन इन्होंने मेडिकल काउंसिल में अपनी नई डिग्री नहीं जुड़वाई। इसमें कई सरकारी चिकित्सक भी शामिल हैं। इक्का-दुक्का चिकित्सकों के तो नाम भी गलत दर्ज हैं। वहीं तकनीकी दिक्कत यह भी है कि आठ से 10 बार प्रयास करने के बाद भी कई चिकित्सकों का सत्यापन नहीं हो पाया है। इस वजह से 55 हजार पंजीकृत चिकित्सकों में से अब तक सिर्फ 22 हजार 500 ने ही सत्यापन कराया है।
उधर, बड़ी संख्या में डाक्टरों का सत्यापन न होने से मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल ने चौथी बार पुन: सत्यापन की तारीख बढ़ाकर 15 जून कर दी है। इसके बाद तारीख नहीं बढ़ाई जाएगी। पहले यह अवधि 15 मई को खत्म हो गई थी। उल्लेखनीय है कि सत्यापन नहीं कराने वाले चिकित्सकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। अब पंजीयन निलंबित करने के संबंध में समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी करने की तैयारी है। यह प्रक्रिया एक दिसंबर से शुरू हुई थी। चिकित्सकों को इसके लिए एक महीने का समय दिया गया था। यह काम एमपी आनलाइन के माध्यम से किया जा रहा है।
चार हजार डाक्टरों की मौत, फिर भी पंजीयन जीवित
मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल में अभी 55 हजार चिकित्सकों का पंजीयन है। इनमें से करीब चार हजार डाक्टरों की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी काउंसिल में उनका पंजीयन जीवित है।
पंजीयन के सत्यापन की तारीख 15 जून कर दी गई है। सबसे बड़ी दिक्कत तकनीकी है। हमने खुद आठ से 10 बार प्रयास किया है। एमपी आनलाइन में बात भी की है, लेकिन सत्यापन नहीं हो पाया।