तालिबान ने भंग किया मानवाधिकार आयोग, कहा- गैर-जरूरी संस्थाओं के लिए फंड नहीं

अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा जमाने वाले तालिबान ने देश में मानवाधिकार आयोग को ही भंग कर दिया है। मानवीय अपराधों के लिए कुख्यात तालिबान की सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा जमाने वाले तालिबान ने देश में मानवाधिकार आयोग को ही भंग कर दिया है। मानवीय अपराधों के लिए कुख्यात तालिबान की सरकार के इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। इसके अलावा 4 अन्य विभागों को तालिबान सरकार ने समाप्त कर दिया है। तालिबान सरकार का कहना है कि उसके पास फंड की कमी है। ऐसे में इन विभागों का संचालन कर पाना आसान नहीं होगा। तालिबान ने कहा कि देश 501 मिलियन डॉलर के बजट घाटे का सामना कर रहा है। इसलिए इन्हें बंद किया गया है। यही नहीं तालिबान ने मानवाधिकार आयोग जैसे विभाग को गैर-जरूरी करार दिया है।

संविधान से जुड़े विभाग को भी कर दिया है बंद

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक तालिबान सरकार के उप-प्रवक्ता इनामुल्लाह समांगनी ने कहा, ‘ये विभाग बहुत जरूरी नहीं थे और इन्हें बजट में शामिल नहीं किया गया था। इसलिए इन्हें भंग कर दिया गया है।’ मानवाधिकार आयोग के अलावा जिस विभाग को भंग किया गया, वह है संविधान को लागू करने के लिए बना आयोग। तालिबान ने बीते साल अगस्त में अफगानिस्तान की सत्ता संभाली थी। तब तालिबान ने दावा किया था कि वह अपने गवर्नेंस मॉडल में उदारता को शामिल करेगा। हालांकि मानवाधिकार और संविधान से जुड़े विभागों को भंग कर तालिबान ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं।

यही नहीं मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की चिंताएं भी तालिबान के इस कदम से बढ़ गई हैं। तालिबान ने जिन 5 विभागों को बंद किया है, उनमें राष्ट्रीय पुनर्गठन उच्च परिषद और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद भी शामिल हैं। अफगानिस्तान की सत्ता संभालने के बाद तालिबान सरकार ने पहली बार बजट पेश किया है और उसने कई संस्थाओं के लिए फंडिंग में कटौती कर दी है। तालिबान का कहना है कि हमने जरूरी उद्देश्यों को हासिल करने के लिए बजट को पेश किया है। हालांकि तालिबान ने कहा कि यदि आने वाले वक्त में इन विभागों की जरूरत पड़ती है तो इन्हें फिर से शुरू किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *