चीन और पाकिस्तान के ड्रीम प्रोजेक्ट सीपीईसी को ग्रहण लगा है। इसका काम बेहद धीरे चल रहा है। 15 प्रोजेक्ट में से अब तक केवल तीन का काम पूरा हुआ है और दर्जनभर अधूरे हैं।
चीन और पाकिस्तान के ड्रीम प्रोजेक्ट चाइना-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर(CPEC) को ग्रहण लग गया है। तमाम प्रयासों के बावजूद इस प्रोजेक्ट पर काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। हालिया रिपोर्ट की मानें तो तय समय से इस प्रोजेक्ट का काम काफी पीछे चल रहा है। अब तक 15 में से सिर्फ तीन प्रोजेक्ट का ही काम हो पाया है। बताते चलें कि यह रूट पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर से होकर निकलना था इसलिए भारत भी इसका विरोध करता है।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून न्यूजपेपर के मुताबिक अब तक पाकिस्तान ने केवल ग्वादर में तीन प्रोजेक्ट पर काम पूरा किया है जिसमें 30 करोड़ डॉलर की लागत आई है। अभी एक दर्जन से ज्यादा प्रोजेक्ट अधूरे हैं जिसमें पानी की सप्लाई और इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन के प्रोजेक्ट शामिल हैं।
सीपीईसी 3 हजार किलोमीटर का लंबा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है जो कि चीन के उत्तरपश्चिम में जिनजियांक और पश्चिमी पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को जोड़ेगा। जिनजियांग उइगर बहुल इलाका है तो वहीं ग्वादर पोर्ट बलूचिस्तान प्रांत में आता है। सीपीईसी से जुड़े अधइकारियों का कहना है कि ग्वादर में कुछ सोसियो-इकॉनमिक बेनिफिट की वजह से काम पीछे चल रहा है।
जो प्रोजेक्ट पूरे हुए हैं उनमें ग्वादर स्मार्ट पोर्ट सिटी शामिल है जिसमें 40 लाख डॉलर की लागत आई है। इसके अलावा ग्वादर पोर्ट का फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर, फ्री जोन फेज 1 और पाक-चीन टेक्निकल ऐंड वोकेशनल इंस्टिट्यूट का काम पूरा हुआ है जिसमें 1 करोड़ डॉलर की लागत आई है। अब भी ग्वादर पोर्ट एरिया में खुद पावर जनरेशन और वॉटर सप्लाई का काम नहीं हो पाता है। पोर्ट पर बिजली पड़ोसी देश ईरान से आयात की जाती है।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक ग्वादर को रोज 2 करोड़ गैलन पानी की जरूरत होती है। सीपीईसी के तहत स्वाड डैम और शादी कुरे डैम से 77 लाख गैलन मानी लिया जाना है। हालांकि इसका काम ही अब तक नहीं पूरा हो पाया है। पिछले महीने पाकिस्तान के प्लानिंग मिनिस्टर अहसान इकबाल ने सीपीईसी के खिलाफ आदेश जारी करते हुए कहा है कि इसकी वजह से संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है और रीजनल कनेक्टिविटी प्रोग्राम लागू करने में दिक्कत आ रही है।