रेल मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते दो वंदे भारत के 128 पहियों को यूक्रेन से रोमानिया भेजा गया है। वहां से एयरलिफ्ट कर ये पहिये चेन्नई एयरपोर्ट लाए जाएंगे।
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से 36 हजार पहियों का ऑर्डर खटाई में पड़ने के बाद भी सरकार 75 वंदे भारत ट्रेन को 75 हफ्तों के भीतर चलाने के अपने फैसले पर अडिग है। इसके लिए सरकार ने 128 पहियों को बेंगलुरु स्थित फैक्टरी में बनाने का फैसला किया है। वहीं, रोमानिया के रास्ते 128 पहिये दो हफ्ते के भीतर चेन्नई पहुंच जाएंगे। इससे मई अंत तक दो वंदे भारत के ट्रायल शुरू हो जाएंगे। बाकी पहियों के ऑर्डर अमेरिका और पोलैंड को दिए गए हैं।
रेल मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते दो वंदे भारत के 128 पहियों को यूक्रेन से रोमानिया भेजा गया है। वहां से एयरलिफ्ट कर ये पहिये चेन्नई एयरपोर्ट लाए जाएंगे। यहां से इसे चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) ले जाया जाएगा, जहां वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण किया जा रहा है। यहीं ट्रेनों में इन पहियों को लगाया जाएगा। इसके बाद ट्रायल की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
तीन माह किए जाएंगे ट्रायल
ट्रायल के तीन माह पूरे होने के बाद देश के प्रमुख रूट पर वंदे भारत ट्रेन चलाई जाएंगी। अधिकारी ने बताया कि येलहंका रेल व्हील फैक्टरी(आरडब्ल्यूएफ), बेंगलुरु में दो वंदे भारत ट्रेन के 128 पहिये बनाने का काम शुरू हो चुका है। अब तक यहां पहियों के लिए एक्सल बनाने का काम होता था। पहिये जुलाई तक बनकर तैयार हो जाएंगे। इसके बाद दो और वंदे भारत ट्रेन का ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा। इस समय रेलवे 60-70 प्रतिशत पहियों का आयात करता है।
प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना
वंदे भारत रेलगाड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंदीदा परियोजना है। इसलिए रेलवे इसे तय कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ाना चाहता है। मोदी ने 15 अगस्त 2021 को लाल किले से इसकी घोषणा की थी। मोदी द्वारा घोषित समयसीमा के अनुसार, 15 अगस्त 2023 तक 75 वंदे भारत ट्रेन चलाने का लक्ष्य रखा गया है।
तीन वर्ष में 400 वंदे भारत दौड़ेंगी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2022 में 400 वंदे भारत चलाने की घोषणा की थी। रेलवे का दावा है कि आगामी तीन वर्ष में सभी 400 वंदे भारत पटरियों पर दौड़नी शुरू कर देंगी। रेलवे वंदे भारत ट्रेन आईसीएफ, चेन्नई के अलावा एमसीएफ, रायबरेली एवं आरसीएफ कपूरथला में भी बनाई जा रही हैं।