नक्सलियों के कोर गढ़ में सेंध लगा रहे सुरक्षाबल, कैम्प और बटालियन बढ़ाकर बनाया जा रहा दबाव

नक्सल प्रभावित इलाकों में पैठ बढ़ाने के लिए सुरक्षाबल अपनी मुहिम लगातार तेज कर रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में नक्सल के कोर गढ़ में सुरक्षाबलों ने कैम्प बनाए हैं। सुरक्षाबलों की संख्या भी बढ़ाई गई है।

नक्सल प्रभावित इलाकों में पैठ बढ़ाने के लिए सुरक्षाबल अपनी मुहिम लगातार तेज कर रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में नक्सल के कोर गढ़ में सुरक्षाबलों ने कैम्प बनाए हैं। साथ ही सुरक्षाबलों की संख्या भी बढ़ाई गई है। इसकी वजह से नक्सलियों में बौखलाहट है।

छत्तीसगढ़ में आठ नए कैंप कोर नक्सली गढ़ में बनाए गए हैं। ओडिशा में चार, महाराष्ट्र में एक, बिहार में एक, तेलंगाना में दो और झारखंड में चार कैंप स्थापित किए गए हैं। सुरक्षा एजेंसियों का प्रयास है कि नक्सल के कोर गढ़ में घुसकर नक्सलियों का प्रभाव कम किया जाए। इस मुहिम में काफी हद तक सफलता भी मिल रही है।

सूत्रों का कहना है कि सुरक्षबलों की मुहिम के चलते अबूझमाड़ का जंगल भी अब नक्सलियों के लिए अभेद्य किला नहीं माना जा रहा है। दुर्गम जंगलों में पनाह लेने वाले नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सुरक्षा बलों ने खास रणनीति पर काम शुरू किया है। केंद्रीय सशस्त्र बल, स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर इन जंगलों में अभियान चला रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि कई स्तरों पर नक्सलरोधी रणनीति पर मंथन चल रहा है। सुरक्षा बल नक्सलियों के कोर गढ़ में घुसकर कार्रवाई कर रहे हैं। सशस्त्र बल तकनीक की मदद से आगे बढ़ रहे हैं। खुफिया समन्वय पर खास जोर दिया जा रहा है। नक्सलियों ने जिन थानों को बंद करवा दिया था,उसे फिर से शुरू कराया गया है। इससे साफ संकेत मिला है कि नक्सल के कोर गढ़ में बड़े ऑपरेशन को अंजाम देने की रणनीति पर काम हो रहा है।

गौरतलब है कि अबूझमाड़ का जंगल मध्य भारत के सबसे दुर्गम जंगलों में से एक है। यह 4400 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यहां गैरकानूनी तरीके से नक्सली अपना शासन चलाते हैं। सघन जंगल के इलाकों में कार्रवाई के दौरान सुरक्षा बलों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ता है। सुरक्षाबलों का नुकसान कम से कम हो, इसके लिए सटीक खुफिया जानकारी और तकनीकी उपकरणों के आधार पर नक्सल गतिविधियों का पता लगाकर ऑपरेशन की रणनीति पर काम हो रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *