India-China LAC: ओपन सोर्स इंटेलीजेंस, डेट्रस्फा (‘डैमिन सिमोन’) के मुताबिक, चीन ने पैंगोंग झील को उत्तर से दक्षिण छोर को जोड़ने वाले पुल का निर्माण कार्य पूरा कर लिया है. साथ ही अब इस पुल के दक्षिणी छोर को चीन की पीएलए आर्मी के बड़े सैन्य ठिकाने, रूटोग बेस से जोड़ने के लिए चीन ने एक सड़क निर्माण का कार्य भी शुरू कर दिया है.
India-China Ties: ओपन सोर्स इंटेलीजेंस, डेट्रस्फा (‘डैमिन सिमोन’) के मुताबिक, चीन ने पैंगोंग झील को उत्तर से दक्षिण छोर को जोड़ने वाले पुल का निर्माण कार्य पूरा कर लिया है. साथ ही अब इस पुल के दक्षिणी छोर को चीन की पीएलए आर्मी के बड़े सैन्य ठिकाने, रूटोग बेस से जोड़ने के लिए चीन ने एक सड़क निर्माण का कार्य भी शुरू कर दिया है.
करीब 140 किलोमीटर लंबी पैंगोंग झील का दो तिहाई हिस्सा यानी करीब 100 किलोमीटर चीन का हिस्सा है. ऐसे में चीन के सैनिकों को एक छोर से दूसरे छोर जाने के लिए या तो बोट का सहारा लेना पड़ता है या फिर पूरा 100-150 किलोमीटर घूम कर उत्तर और दक्षिण के इलाकों में आना जाना पड़ता था. लेकिन नए पुल के बनने से एक छोर से दूसरे छोर पर पहुंचना बेहद आसान हो जाएगा. ये पुल चीन अपने ही सीमा-क्षेत्र में तैयार कर रहा है.
वर्ष 2020 में पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण दोनों में भारत और चीन की सेनाओं में विवाद हुआ था. झील के उत्तर में विवादित फिंगर एरिया है तो दक्षिण में कैलाश हिल रेंज और रेचीन ला दर्रा है. कैलाश हिल रेंज वही इलाका है जहां एलएसी पर टकराव के दौरान भारतीय सेना ने ‘प्री-एम्पटिव स्ट्राइक’ की थी. चीन का रुटोग मिलिट्री बेस स्पैंगूर गैप, कैलाश हिल रेंज और रेचीन ला दर्रा की दिशा में ही है. यही वजह है कि चीनी सेना पैंगोंग झील पर बने पुल को रुटोग बेस से जोड़ने के लिए नई सड़क बनाने में जुट गई है.
हालांकि बाद में दोनों ही जगह पर डिसइंगेजमेंट हो गया था लेकिन पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं में तनाव जारी है और दोनों ही सेनाओं के 60-60 हजार सैनिक यहां तैनात हैं. इसके अलावा टैंक, तोप और मिसाइलों का जखीरा भी है.
आपको बता दें कि इस साल के शुरुआत में यानि जनवरी 2022 में ओपन सोर्स सैटेलाइट इमेज से ही पैंगोंग झील पर बन रहे इस ब्रिज के निर्माण का खुलासा हुआ था. ओपन सोर्स इंटेलीजेंस ‘इंटेल लैब’ने उस वक्त बताया था कि चीन पैंगोंग लेक पर एक पुल तैयार कर रहा है ताकि उसके सैनिक झील के उत्तर और दक्षिण इलाकों में आसानी से आवागमन कर सकें. इंटेल लैब ने पुल की सैटेलाइट तस्वीर भी जारी की थी.
भारतीय सेना की इस पुल को लेकर अभी तक कोई टिप्पणी सामने नहीं आई है. हालांकि, भारत भी एलएसी के अपने इलाकों में पुल और सड़कों का जाल बिछाने में जुटा है. पिछले दो सालों में भारत ने भी एलएसी पर दो दर्जन पुलों का निर्माण किया है.
नए थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने भारतीय सेना की कमान संभालने के बाद कहा था कि एलएसी पर भारत अपनी एक इंच जमीन भी नहीं जाने देगा.
हाल ही में भारत के रक्षा मंत्रालय ने अपनी सालाना रिपोर्ट में खुलासा किया था कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी के जिन इलाकों में डिसइंगेजमेंट नहीं हुआ है वहां भारतीय सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है. साथ ही एलएसी के दूसरी तरफ चीन के जबरदस्त इंफ्रास्ट्रक्चर और पीएलए की बढ़ी हुई संख्या को देखते हुए भारतीय सेना ने पुनर्गठन के साथ-साथ अपने सैन्य ढांचे में जरूरी बदलाव भी किए हैं.
रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, “एलएसी पर एक से अधिक क्षेत्रों में चीन द्वारा बल के प्रयोग पर स्टेट्स-क्यो यानि यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफा और उत्तेजक कार्रवाइयों का पर्याप्त रूप से जवाब दिया गया है.” रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों की सेनाएं विभिन्न स्तरों पर बातचीत में लगी हुई हैं. निरंतर संयुक्त प्रयासों के बाद, कई स्थानों पर डिसइंगेजमेंट नहीं हुआ है. ऐसे में उन क्षेत्रों में जहां डिसइंगेजमेंट नहीं हुआ है वहां पर्याप्त रूप से सैनिकों की संख्या बढ़ाया गई है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, एलएसी पर अपने दावों को मजबूत करने के लिए भारतीय सैनिक पूरी दृढ़ता लेकिन शांति-पूर्वक सीमा पर चीन के खिलाफ डटे हुए हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि एलएसी पर भारत भी सड़क, ब्रिज और दूसरी मूलभूत सुविधाओं के साथ अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में जुटा है.