Punjab Cabinet Meeting: पंजाब कैबिनेट की आज मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में बैठक हुई। इसमें पांच महत्वपूर्ण निर्णय लिए लिए गए हैं। राज्य में 26454 पदों पर भर्तियां होगी। इसके साथ ही एक विधायक एक पेंशन की घोषणा को मंजूरी दे दी गई।
इसके साथ ही बैठक में विधायकाें का आयकर भरने को लेकर प्रस्ताव आ सकता है और विधायकाें का आयकर खुद उनके द्वारा भरने का फैसला किया जा सकता है। इसके साथ ही पूर्व विधायकाें को एक ही पेंशन देने की पूर्व में की गई घोषणा पर ही कैबिनेट की मुहर लग गई है।
पंजाब कैबिनेट के पांच बड़े फैसले-
– कई विभागों की 26454 भर्तियों को मंजूरी
– एक एमएलए, एक पेंशन को मंजूरी
– घर-घर राशन पहुंचाने की स्कीम को मंजूरी
– मुक्तसर जिले में नरमे की फसल के खराब होने पर 41.8 करोड़ रूपये मुआवज़े को मंजूरी
किसानोंं को 38.08 करोड़ रुपये और खेत मजदूरों को 3.81 करोड़ रुपये मिलेंगे।
– छोटे ट्रांसपोर्टरों के लिए फीस जमा करवाने के लिए 3 महीने का समय बढ़ाया, किश्तों में भी जमा कर सकते हैं।
बता दें कि राज्य पर वित्तीय बोझ को कम करने के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार पूर्व विधायकों के लिए एक ही पेंशन योजना की घोषणा पहले ही कर चुकी थी। अब आज कैबिनेट बैठक में इस घोषणा को अमलीजामा पहनाया गया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में वित्तीय मामलों को लेकर कई अहम फैसले लिए गए हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि सरकार को अपने खर्च चलाने के लिए लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है।
कैबिनेट की बैठक में विधायकों का आयकर खुद विधायकों की ओर से भरे जाने के प्रस्ताव के साथ ही बिजली सुधार संबंधी केंद्रीय योजना का प्रोजेक्ट लेने का एजेंडा भी पेश किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार पंजाब सरकार विधायकों के लिए एक ही पेंशन दिए जाने का अध्यादेश ला सकती है। क्योंकि, भगवंत मान सरकार को बजट सत्र में यह बिल पास करवाना होगा।
वर्तमान में विधायकों की पेंशन की जो नीति लागू है उससे राज्य पर बड़ा आर्थिक बोझ पड़ता है। एक बार विधायक बनने पर 75,100 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलती है तो दूसरी बार विधायक बनने पर पेंशन में 25000 रुपये की वृद्धि हो जाती है। वर्तमान में राज्य में कई पूर्व विधायक है तीन लाख रुपये से ज्यादा पेंशन ले रहे हैं।
सरकार वित्तीय बोझ को कम करने के लिए विधायकों का आयकर न भरने का फैसला भी ले सकती है। अब तक विधायकों के आयकर का बोझ सरकार उठाती रही है। हालांकि कैप्टन अमरिंदर सिंह की पिछली सरकार ने मंत्रियों को इस दायरे से बाहर कर दिया था। मंत्री अपना आयकर खुद भरते थे।