यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर देश में सियासत तेज है। बयानबाजी जारी है। इस बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने शनिवार को इसका यह कहते हुए समर्थन किया कि देश की सभी मुस्लिम महिलाएं इसे लागू कराना चाहती हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सीएम के हवाले से कहा, ‘कोई भी मुस्लिम महिला यह नहीं चाहती हैं कि उनका पति घर में तीन-तीन पत्नी लाए। किसी भी मुस्लिम महिलाएं से आप पूछ सकते हैं। समान नागरिक संहिता हमारा मुद्दा नहीं है, यह सभी मुस्लिम महिलाओं का मामला है।’
हिमंत बिस्व सरमा मुख्यमंत्रियों और जजों के सम्मेलन में शामिल होने के लिए दिल्ली आए थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए समाननागरिक संहिता जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘अगर मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक खत्म करने न्याय दिलाया गया तो यूनिफॉर्म सिविल कोड को भी लागू करना चाहिए।’
आपको बता दें कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा चुनाव में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का वादा राज्य की जनता से किया था। सीएम बनने के बाद उन्होंने हाल ही में कहा था कि इसकी ड्राफ्टिंग के लिए एक पैनल का गठन किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश में मुस्लिम मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि समान नागरिक संहिता के गुण समझाने के लिए चौपाल बनाए जाएंगे। इस बीच, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने भारत में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए राज्य सरकारों और केंद्र के प्रयासों को “एक असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी कदम” कहा है।
क्या है समान नागरिक संहिता?
समान नागरिक संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आती है। यह व्यक्तिगत कानूनों को लागू करने का एक प्रस्ताव है जो सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होगा, चाहे उनका धर्म, लिंग, लिंग और यौन अभिविन्यास कुछ भी हो। विवाह, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने के लिए इसकी आवश्यक्ता होगी।