अब काला सागर और बाल्टिक सागर में रूस और NATO में भिड़ंत, आमने-सामने आए लड़ाकू विमान

बर्लिन: यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस और नाटो के बीच तनाव चरम पर है। इस बीच रूसी लड़ाकू विमानों के ट्रांसपोंडर बंद कर काला सागर और बाल्टिक सागर के ऊपर उड़ान भरने से मामला और बिगड़ गया है। मिसाइलों से लैस रूसी लड़ाकू विमानों को उड़ते देख नाटो ने भी अपने फाइटर जेट्स को तुरंत टेकऑफ कर मोर्चाबंदी करने का निर्देश दिया। जिसके बाद रूसी लड़ाकू विमान अपने देश की हवाई सीमा में वापस आ गए। नाटो ने दावा किया है कि पिछले चार दिनों के अंदर रूसी लड़ाकू विमानों की घुसपैठ के दर्जनों मामले दर्ज किए गए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि रूस एक नया फ्रंट खोलकर नाटो देशों के ऊपर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है, ताकि यूक्रेन से ध्यान भटकाया जा सके।

नाटो के नेतृत्व में उड़ान भर रहे मित्र देशों के लड़ाकू विमान
जर्मनी के रेमस्टीन में मौजूद नाटो के एलाइड एयर कमांड ने बयान जारी कर कहा कि नाटो राडार ने 26 अप्रैल से बाल्टिक और काला सागर के ऊपर कई रूसी विमानों को ट्रैक किया है। जिसके बाद जवाबी कार्रवाई के तौर पर जर्मनी के यूडेम और स्पेन के टोररेजोन में स्थित नाटो के कंबाइंड एयर ऑपरेशन सेंटर्स ने ने अपने-अपने क्षेत्रों में मित्र देशों के लड़ाकू विमानों को इन विमानों की पहचान करने और रोकने के लिए उड़ान भरने का निर्देश दिया। ऐसे में बाल्टिक सागर क्षेत्र में मित्र देशों की हवाई सीमा की सुरक्षा के लिए पोलैंड, डेनमार्क, फ्रांस और स्पेन के क्विक रिएक्शन अलर्ट अलग-अलग समय पर उड़ान भर रहे हैं। वही काल सागर में रोमानिया और ब्रिटेन के लड़ाकू विमान गश्त कर रहे हैं

नाटो एलाइड एयर कमांड के चीफ ऑफ स्टाफ ने दी धमकी
रूसी खतरे को देखते हुए नाटो एयर पुलिसिंग मिशन में शामिल सभी देशों के लड़ाकू विमानों ने उत्तरी और पूर्वी यूरोप में उड़ानों की संख्या को बढ़ा दिया है। एलाइड एयर कमांड के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल जोर्ग लेबर्ट ने कहा कि यूरोप के उत्तर से दक्षिण में तैनात सभी सहयोगी पूरी तरह से एकजुट हैं और किसी भी खतरे का सामना करने के लिए भी तैयार हैं। नाटो के दो कंबाइंड एयर ऑपरेशन सेंटर्स की त्वरित प्रतिक्रिया, नाटो फोर्सेज की तैयारी और मित्र देशों के आसमान की 24 घंटे, सप्ताह में 7 दिन, वर्ष में 365 दिन निगरानी हमारी रक्षा करने की क्षमता को प्रदर्शित करती है।

रूसी सैन्य विमानों के कारण पैदा हो रहा तनाव
रूसी सैन्य विमान अक्सर एक ट्रांसपोंडर कोड ट्रांसमिट नहीं करते हैं। ट्रांसपोंडर कोड की मदद से किसी भी विमान स्थिति और ऊंचाई का पता चलता है। इतना ही नहीं, रूसी विमान अपना फ्लाइट पाथ भी गुप्त रखते हैं। इस कारण उनके उड़ान भरने की जगह और उतरने की जगह का भी पता नहीं चल पाता है। रूसी पायलट एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स के सवाल का भी जवाब नहीं देते हैं, ऐसे में उस इलाके से गुजरने वाले नागरिक विमानों के लिए संभावित जोखिम पैदा होता है। हालांकि, इंटरसेप्ट किए गए रूसी विमानों ने कभी भी मित्र देशों की हवाई सीमा में घुसपैठ नहीं की है।

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