अपनी प्रतिद्वंद्वी मरीन ली पेन को चुनाव में हराकर इमैनुएल मैक्रों एक बार फिर फ़्रांस के राष्ट्रपति बन गए हैं.
मैक्रों ने 58.55 फ़ीसदी वोट हासिल किए जबकि ली पेन को 41.45 फ़ीसदी वोट मिले.
इस जीत के साथ मैक्रों पिछले 20 साल में दोबारा चुने जाने वाले पहले राष्ट्रपति बन गए हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट के ज़रिये राष्ट्रपति मैक्रों को बधाई दी.
अपने सन्देश में प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, “मेरे मित्र इमैनुएल मैक्रों को फ़्रांस के राष्ट्रपति के रूप में फिर से चुने जाने पर बधाई. मैं भारत-फ़्रांस रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करने के लिए मिलकर काम करना जारी रखने की आशा करता हूं.”
यूरोपीय संघ (ईयू) में काफ़ी समय से चिंता जताई जा रही थी कि ली पेन की जीत से फ़्रैंक्सिट यानी फ़्रांस के ईयू से बाहर निकल जाने का रास्ता खुल सकता है.
हालाँकि मरीन ली पेन ने ज़ोर देकर कहा था कि उनका कोई गुप्त “फ़्रैंक्सिट” एजेंडा नहीं है.
लेकिन उनके विरोधियों का दावा था कि उनकी नीतियां यूरोपीय संघ में फ़्रांस की जगह को ख़तरे में डाल देंगी.
ली पेन की हार से ईयू ने एक बड़ी राहत की सांस ली है.
भारत और फ़्रांस के सम्बन्ध पारंपरिक रूप से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण रहे हैं.
वर्ष 1998 में दोनों देशों ने एक रणनीतिक साझेदारी में प्रवेश किया जो घनिष्ठ और बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों के अलावा कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर उनके एक जैसे विचारों और समझ का प्रतीक रही है.
रक्षा और सुरक्षा सहयोग, अंतरिक्ष सहयोग और असैन्य परमाणु सहयोग के क्षेत्र दोनों देशों की सामरिक साझेदारी के प्रमुख स्तंभ रहे हैं.
एक मज़बूत आर्थिक साझेदारी के साथ-साथ भारत और फ़्रांस सहयोग के नए क्षेत्रों जैसे हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, चरमपंथ का मुक़ाबला, जलवायु परिवर्तन, और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग कर रहे हैं.
फ़्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता और संयुक्त राष्ट्र के सुधारों के लिए भारत के दावे का समर्थन करना जारी रखा है.
दोनों देशों ने लगातार आतंकवाद की निंदा की है और संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (सीसीआईटी) के मसौदे पर अमल करने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया है.