नई दिल्ली, जेएनएन। रूस यूक्रेन के बीच शांति वार्ता के पांच दौर बेनतीजा रहे। हर शांति वार्ता के बाद रूस यूक्रेन पर हमले तेज कर देता है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन पर परमाणु हमले की भी चेतावनी दे चुके हैं। एक तरफ शांति वार्ता का दौर चल रहा है, दूसरी ओर राष्ट्रपति पुतिन परमाणु हमले की बात कर रहे हैं। वह कसम खा रहे हैं कि वह यूक्रेन को समाप्त कर देंगे। आखिर रूसी राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन से क्या चाहते हैं। दोनों देशों के बीच जंग समाप्त करने में क्या है बड़ा रोड़ा। रूस के लिए इस जंग का मकसद क्या है।
1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दुनिया को यह दिखाना चाहते हैं कि वह इस समस्या के समाधान के लिए कूटनीतिक रास्ता नहीं छोड़े हैं, लेकिन शर्तों के साथ। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक वार्ता तभी सफल होगी, जब यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की पूरी तरह से समर्पण करेंगे। पुतिन का इरादा एकदम साफ है कि जब तक यूक्रेन पूरी तरह से हथियार नहीं डालेगा रूस की ओर से युद्ध समाप्त नहीं होगा। पुतिन का इशारा साफ है कि जब तक यूक्रेन अमेरिका और नाटो की गोद में बैठा रहेगा, तब तक पुतिन कोई समझौता नहीं करेंगे।
2- कूटनीतिक वार्ता के जरिए रूसी राष्ट्रपति पुतिन यह संदेश दे रहे हैं कि यूक्रेन के पास इस जंग को समाप्त करने का और तबाही को रोकने का एक मौका है। इसके साथ यह संकेत दे रहे हैं कि यूक्रेन को अमेरिका और नाटो से संबंध तोड़ने होंगे। यही कारण है दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच युद्ध रोकने की वार्ता के बीच रूसी सेना मिसाइल से हमले करती रहती है। रूसी सेना का इस वार्ता से कोई असर नहीं पड़ता। यही कारण है कि पांच चरण की वार्ता हो चुकी है, लेकिन स्थितियां जस की तस बनी हुई है।
3- उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच यह जंग जिस मोड़ पर पहुंच चुकी है, वहां से रूसी सेना खाली हाथ वापस नहीं लौट सकती। उन्होंने कहा कि अब देखा जाए तो पुतिन के हाथ से भी बात निकल चुकी है। अब पुतिन सेना को अगर बुलाते हैं तो वह रूसी जनता को क्या जवाब देंगे। यह सवाल खड़ा होगा कि यूक्रेन पर हमले का मकसद क्या था। आखिर पुतिन ने यूक्रेन पर हमला क्यों किया। खासकर तब जब इस युद्ध में रूसी सेना भी तबाह हुई है। रूसी सेना के कई हथियार और हजारों की तादाद में सैनिक मारे गए हैं। इस युद्ध में रूस की भारी तबाही हुई है।
4- उन्होंने कहा कि हथियार डालने का मकसद यह भी है कि यूक्रेन नाटो और अमेरिका से सैन्य उपकरण और रक्षा संधि का त्याग करे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यूक्रेनी राष्ट्रपति क्या फैसला लेते हैं। इसके साथ एक खतरा और भी कि अगर रूस ने परमाणु हमला किया तो यूक्रेन के पास क्या विकल्प होगा। यह तय है कि अमेरिका और नाटो देश यूक्रेनी सेना की मदद नहीं कर सकते। अलबत्ता वह यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति कर सकते हैं, लेकिन अब केवल हथियारों से काम चलने वाला नहीं है। नाटो और अमेरिका ने यूक्रेन को सैन्य मदद देने से पहले मना कर दिया है, ऐसे में यूक्रेनी राष्ट्रपति के पास कोई विकल्प नहीं है।
रूस यूक्रेन के बीच ताजा वार्ता विफल, जानें क्या कहा बाइडन ने
रूस और यूक्रेन के बीच हुई ताजा बातचीत भी विफल होती नजर आ रही है। रूसी सत्ता के केंद्र क्रैमलिन ने कहा है कि यूक्रेन के साथ नवीनतम दौर की बातचीत में कोई सफलता नहीं मिली है। समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बुधवार को कहा कि यूक्रेन ने अपने लिखित प्रस्ताव प्रस्तुत किए लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि बातचीत में कोई सकारात्मक सफलता नहीं मिली है। यूक्रेन के उत्तरी चेर्निहाइव क्षेत्र में रूसी हमले रात भर जारी रहे। ये हमले तब हो रहे हैं जब रूस की ओर से कहा जा चुका है कि क्षेत्र में सैन्य गतिविधियां कम होंगी। रूस के इस बयान पर कि वह अपनी सैन्य गतिविधियों में कटौती करेगा उन्होंने कहा कि ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन भी सैन्य गतिविधियां कम करने को लेकर रूस की सैन्य घोषणा पर अविश्वास जता चुके हैं।