बिहार को नशा मुक्त करने के ड्रीम प्रोजेक्ट वाले कानून में आज बदलाव किया गया है। दरअसल, अब शराब पीने वालों को जेल नहीं जाना होगा, बल्कि जुर्माना लेकर छोड़ दिया
पटना : बिहार विधानसभा (Bihar vidhan sabha) में आज शराबबंदी कानून में बदलाव किया गया। दलअसल, अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) शराबबंदी कानून को लेकर बैकफुट पर हैं। इसकी खास वजह ये है कि जेलों में और कोर्ट पर लगातार शराबबंदी कानून (Prohibition Law) की वजह से कैदियों और केसों का बोझ बढ़ता चला जा रहा है। केसों को निबटाने में पटना हाई कोर्ट के 26 में से 16 जज लगे हुए हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए आज बिहार विधानसभा में शराबबंदी कानून में कई बड़े संशोधन किए गए।
शराब के केसों की वजह से झुकी सरकार!
शुरुआत में कानून का उल्लंघन करने पर सख्त सजा का प्रावधान किया गया था। जिसकी वजह से अप्रैल 2016 से दिसंबर 2021 तक शराबबंदी कानून के तहत 2.03 लाख मामले सामने आए। इनमें 3 लाख से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह एक बहुत बड़ी संख्या है। इनमें से 1.08 लाख मामलों का ट्रायल शुरू किया गया। इनमें से 94 हजार 639 मामलों का ट्रायल पूरा हो चुका है। 1 हजार 19 मामलों में आरोपियों को सजा मिली। 610 मामलों में आरोपियों को बरी किया जा चुका है। बताते चलें, 1 अप्रैल 2016 से बिहार में शराबबंदी आंशिक तौर पर लागू किया गया था लेकिन परिवर्तन करते हुए बिहार में पूर्ण शराब बंदी लागू कर दी गई। 6 साल पहले विधानसभा में सदस्यों ने शराब ना पीने की शपथ भी ली थी और आज 6 साल बाद शराबबंदी कानून में बड़ा बदलाव किया गया है।
पहली बार की गलती तो छोड़ दिया जाएगा
शराबबंदी कानून में बदलाव करते हुए ये कहा गया है कि यदि को व्यक्ति पहली बार शराब पीते (Liquor) पकड़ा जाता है तो उसे जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाएगा। लेकिन बार-बार पकड़ें जाने पर जेल और जुर्माना दोनों की सजा हो सकती है। जुर्माने की राशि राज्य सरकार तय करेगी। इसे आज बिहार विधानसभा में सर्वसहमति से परित कर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने उठाया था सवाल
बिहार सरकार के शराबबंदी के फैसले पर लगातार सवाल उठ रहे थे। सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी ये सवाल उठाए जा रहे थे कि बिहार में शराबबंंदी की वजह से लगातार जेलों में कैदियों की संख्या बढ़ रही है। जजों की संख्या कम है बावजूद इसे 26 में 16 जज केवल शराबबंदी से जुड़े मामलों में ही फंसे हुए हैं। ऐसे में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से सवाल पूछा कि क्या शराबबंदी लागू करने से पहले और शराबबंदी कानून लाने से पहले बिहार में इसके लिए अदालती ढांचा तैयार किया गया है या नहीं? इस पर कोई अध्ययन किया कराया गया या नहीं? माननीय सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की शराबबंदी (Liquor ban in Bihar) कानून के चलते अदालतों में लगातार मुकदमों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई थी। उन्होंने यह भी टिप्पणी की थी कि क्या बिहार में सभी जज शराबबंदी के मामले ही सुलझाने में लगे रहेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने इस समस्या के प्रति भी अपनी चिंता जाहिर की थी।
आबकारी मंत्री सुनील कुमार (Sunil Kumar) ने बताया कि शराब पीने वालों को अब जुर्माना लेकर छोड़ा जाएगा। इससे पहले भी उन्होंने एनबीटी से बातचीत में बताया था कि सरकार की तरफ से शराबबंदी कानून में बदलाव की तैयारी है। उन्होंने बताया था कि लगातार शराब के मामलों की वजह से कोर्ट में केसों की सख्या बढ़ रही है। जिसकी वजह से सरकार इस कानून में बदलाव करने वाली है। उन्होंने बताया जो बदलाव किए गए हैं उससे कोर्ट में जाने वाले केसों में कमी आएगी।
बिहार मद्य निषेध और उत्पाद संशोधन विधेयक 2022
- नजदीकी कार्यपालक मजिस्ट्रेज के समक्ष पेश किया जाएगा
- जुर्माना देकर छूट सकता है पकड़ा गया आरोपी
- जुर्माना नहीं देने पर एक महीने की सजा हो सकती है
- बार-बार पकड़े जाने पर जेल और जुर्माना दोनों होगा
- जुर्माने की राशि राज्य सरकार तय करेगी
- पुलिस को मजिस्ट्रेट के सामने जब्त सामान नहीं पेश करना होगा
- पुलिस पदाधिकारी इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पेश कर सकते हैं
- नमूना सुरक्षित रखकर जब्त सामान को नष्ट किया जा सकेगा
- इसके लिए परिवहन की चुनौती और भूभाग की समस्या दिखाना होगा
- डीएम के आदेश तक जब्त वस्तुओं को सुरक्षित रखना जरूरी नहीं
- मामले की सुनवाई एक साल के अंदर पूरी करनी होगी
- धारा-37 में सजा पूरा कर चुका आरोपी जेल से छूट जाएगा
- तलाशी, जब्ती, शराब नष्ट करने को लेकर है विशेष नियम