दुनिया की सबसे रहस्यमयी जगह, यहां इंसान तो दूर बड़े-बड़े जहाज भी हो जाते हैं गायब

दुनिया में ऐसी कई जगहे हैं, जो रहस्यों से भरी हुई हैं। हैरानी की बात तो ये है कि इन रहस्यमयी जगहों की सच्चाई आज तक किसी को पता नहीं चली। ऐसी ही एक जगह के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जहां इंसानों का पहुंच पाना नामुमकिन है। 

ये जगह करीब 100 सालों से रहस्य बनी हुई है। इसे दुनिया की सबसे रहस्यमयी जगह कहा जाए तो गलत नहीं होगा। यह जगह उत्तर अटलांटिक महासागर में स्थित ब्रिटेन का प्रवासी क्षेत्र है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट पर मियामी (फ्लोरिडा) से महज 1770 किलोमीटर और हैलिफैक्स, नोवा स्कोटिया, (कनाडा) के दक्षिण में 1350 किलोमीटर (840 मील) की दूरी पर स्थित है। 

इस जगह का नाम है बरमूडा ट्राएंगल, जिसे ‘डेविल्स ट्राएंगल’ के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि पिछले 100 सालों में यहां करीब 1000 लोगों की मौत हो चुकी है। एक आंकड़ें के मुताबिक, हर साल बरमूडा ट्राएंगल में औसतन चार एयरक्राफ्ट्स और 20 पानी के जहाज लापता हो जाते हैं। 

जब भी कोई विमान या जलपोत बरमूडा ट्राएंगल के ऊपर या आसपास नजर आया, वह वापस नहीं लौट सका। यहां तक कि उनका मलबा भी आज तक नहीं मिला। हालांकि बरमूडा ट्राएंगल में समा चुके पानी के जहाज और हवाई जहाजों की बारे में पुख्ता तौर पर कोई जानकारी नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि अब तक यहां करीब 2000 जलपोत और 75 हवाई जहाज मौत के मुंह में समा चुके हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1945 में अमेरिकी नेवी के पांच एवेंजर टॉरपिडो बॉम्बर्स विमान 90 मिनट के अंदर गायब हो गए थे। फ्लोरिडा के फोर्ट लॉड्रेडाले से इन विमानों ने सॉर्टी के लिए टेकऑफ किया था। रेडिया ऑपरेटर्स को पहले संकेत मिला कि उनके पास मौजूद दिशा बताने वाला यंत्र कम्पास काम नहीं कर रहा है। इसके बाद उनका संपर्क टूट गया और फिर इन विमानों का पता आज तक नहीं चल पाया

शोधकर्ताओं का मानना है कि बरमूडा ट्राएंगल में एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र होने के कारण जहाजों में लगे उपकरण यहां पहुंचते ही काम करना बंद कर देते हैं। इस कारण जहाज रास्ता भटक जाते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। हालांकि यह सिर्फ एक अनुमान है। इसकी सच्चाई आजतक रहस्य ही है। 

कहते हैं कि बरमूडा ट्राएंगल के बारे में सबसे पहले अमेरिका की खोज करने वाले क्रिस्टोफर कोलंबस ने दुनिया को बताया था। उनका सामना भी बरमूडा ट्राएंगल से हुआ था। उन्होंने अपने लेखों में इस त्रिकोण में होने वाली गतिविधियों का जिक्र करते हुए लिखा है कि जैसे ही वह बरमूडा ट्राएंगल के पास पहुंचे, उनके जहाज के कम्पास (दिशा बताने वाला यंत्र) ने काम करना बंद कर दिया। इसके बाद उन्हें आसमान में एक रहस्यमयी आग का गोला दिखाई दिया, जो सीधा जाकर समुद्र में गिर गया। 

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