नवजात शिशु को स्वस्थ रखने में मां के दूध का सबसे बड़ा रोल होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, मां के दूध से शिशु में एंटीबॉडीज बनती हैं, जो बचपन की कई बीमारियों से बचाने में मदद करती हैं। स्तनपान से न केवल शिशु को फायदा होता बल्कि मां को भी इसके कई फायदे मिलते हैं।1 से 7 अगस्त तक मनाए जाने वाले ब्रेस्टफीडिंग वीक के मौके पर इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल, नई दिल्ली की कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सारिका गुप्ता बता रही हैं, ब्रेस्टफीडिंग मां और बच्चे दोनों के लिए कितना जरूरी है…
मां के दूध से नवजात शिशु को 4 बड़े फायदे
इम्यून सिस्टम बेहतर होता है: जन्म के पहले घंटे में ही मां का दूध पीने वाले बच्चों की कम उम्र में मौत का खतरा 20% तक कम हो जाता है। बच्चा वैक्सीनेशन के प्रति बेहतर रिस्पॉन्ड करता है।
संक्रमण का खतरा घटता है: मां का दूध पीने से बच्चे में डायरिया का रिस्क कम हो जाता है। आंत में संक्रमण का खतरा लगभग 64% तक घट जाता है। 6 माह और उससे अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों में खानपान से जुड़ी एलर्जी के मामले कम सामने आते हैं।
रेस्पिरेट्री सिस्टम बेहतर काम करता है: मां का दूध पीने वाले बच्चों में सांस से जुड़े संक्रमण का खतरा 72 फीसदी तक कम होता है। निमोनिया, सीजनल सर्दी जुकाम का खतरा कम रहता है।
बच्चों का आईक्यू अधिक रहता है: मां के दूध में कोलेस्ट्रॉल और अन्य फैट कम होते हैं। नर्व टिश्यू का बेहतर विकास होता है। ऐसे बच्चों का आईक्यू लेवल 2 से 5 प्वाइंट अधिक होता है। इसी तरह उनका हृदय बेहतर तरीके से काम करता है।
मां में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 28% तक घट जाता है
ब्रेस्टफीडिंग कराने से मां को हृदय रोग का खतरा 10% तक कम होता है। इसी तरह ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 28% और आर्थराइटिस का रिस्क 50% तक कम होता है।
1 साल में यूं शिशु को सुरक्षा देता हैं मां का दूध
जन्म के समय: मां का पहला दूध इम्यूनिटी और आंत को सुरक्षा प्रदान करता है।
6 सप्ताह बाद: एंटीबॉडी मिलती है।
3 माह बाद: कैलोरी बहुत बढ़ जाती है।
6 माह बाद: दूध में ओमेगा एसिड बढ़ जाता है। इससे बच्चे का दिमाग तेजी से विकसित होता है।
12 माह बाद: कैलोरी और ओमेगा एसिड का लेवल ज्यादा होता है, जो मांसपेशियों और दिमाग के विकास में सहायता करते हैं।