Ayodhya Ram Mandir ceremony: 9 नवंबर, 2019 को एक सदी से भी अधिक पुराने एक विवादास्पद मुद्दे का निपटारा करते हुए, भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया था.
नई दिल्ली :
अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को एक भव्य समारोह में किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए. इस कार्यक्रम का देशभर के कई शहरों में सीधा प्रसारण किया गया और भक्तों को भी इसमें वर्चुअली शामिल होने के लिए कहा गया. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद, मंदिर 23 जनवरी से भक्तों के लिए खुला रहेगा. 9 नवंबर, 2019 को एक सदी से भी अधिक पुराने एक विवादास्पद मुद्दे का निपटारा करते हुए, भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया था… फैसला सुनाया था कि उत्तर प्रदेश के पवित्र शहर में एक मस्जिद के लिए वैकल्पिक पांच एकड़ का भूखंड खोजा जाएगा.
अब जब “प्राण प्रतिष्ठा” समारोह संपन्न हो गया है, तो यहां राम मंदिर के बारे में दिलचस्प बातों पर एक नजर… जो आपको जानना आवश्यक है.
अयोध्या राम मंदिर का महत्व
राम मंदिर को हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है. अयोध्या भगवान राम का जन्मस्थान है और इसलिए इसे एक पवित्र स्थान माना जाता है. भगवान हिंदुओं के आराध्य हैं.
कब रखी गई थी मंदिर की आधारशिला?
अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त, 2020 को राम मंदिर की आधारशिला रखी थी. इसके साथ ही करोड़ों हिंदुओं के आस्था की प्रतीक अयोध्या नगरी में उत्सव शुरू हो गए थे.
राम मंदिर का प्रबंधन कौन करता है?
अयोध्या में बने राम मंदिर के मामलों का प्रबंधन श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा किया जाता है. संस्था अपने एक्स हैंडल पर मंदिर से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी देती रही है. संस्था के कोषाध्यक्ष स्वामी गुरुदेव गिरिजी महाराज ने राम मंदिर निर्माण लगभग 1100 करोड़ रुपये का खर्च अब तक हो चुका है. कुल मिलाकर हमारा अनुमान है कि 1800 करोड़ रुपये पूरे मंदिर निर्माण पर खर्च होंगे.
राम मंदिर के बारे में रोचक तथ्य
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अनुसार, मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया गया है. इसकी लंबाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है. ट्रस्ट ने एक्स पर कहा कि मंदिर तीन मंजिला है, जिसकी प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची होगी. इसमें कुल 392 खंभे और 44 दरवाजे होंगे। पांच मंडप या हॉल हैं, और उनके नाम नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना और कीर्तन मंडप हैं. मंदिर में प्रवेश पूर्व से है, और भक्तों को सिंह द्वार से होकर 32 सीढ़ियां चढ़नी होंगी. ट्रस्ट ने यह भी कहा कि दिव्यांगों और बुजुर्गों की सुविधा के लिए रैंप और लिफ्ट की भी व्यवस्था है. ट्रस्ट का दावा है कि दिलचस्प बात यह है कि मंदिर में कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है.
अन्य बुनियादी ढांचे का विवरण
परिसर के चारों कोनों पर, चार मंदिर- सूर्य देवता, देवी भगवती, भगवान गणेश और भगवान शिव को समर्पित हैं. मां अन्नपूर्णा का मंदिर उत्तरी ओर है, जबकि हनुमान मंदिर दक्षिण की ओर है. अयोध्या राम मंदिर की नींव का निर्माण रोलर-कॉम्पैक्ट कंक्रीट (आरसीसी) की 14 मीटर मोटी परत से किया गया है, जो इसे कृत्रिम चट्टान का रूप देता है. जमीन की नमी से सुरक्षा के लिए ग्रेनाइट का उपयोग करके 21 फुट ऊंचे चबूतरे का निर्माण किया गया है. मंदिर का निर्माण पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके किया जा रहा है, जिसमें पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष जोर दिया जाएगा.
राम मंदिर निर्माण की लागत
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने अनुमान लगाया था कि 2022 में भव्य राम मंदिर के निर्माण में ₹1,800 करोड़ खर्च होंगे. पिछले साल अक्टूबर में पीटीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि ट्रस्ट ने 5 फरवरी, 2020 और 31 मार्च, 2023 के बीच अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण पर 900 करोड़ रुपये खर्च किए.