Sam Bahadur Review In Hindi: विक्की कौशल की सैम बहादुर, रणबीर कपूर की एनिमल से टक्कर लेने के लिए 1 दिसंबर को रिलीज हो गई है. लेकिन फिल्म देखने से पहले रिव्यू पढ़ना ना भूलें.
नई दिल्ली:
Sam Bahadur Review: मेघना गुलजार की फिल्म सैम बहादुर रिलीज हो गई है. सैम बहादुर फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की जिंदगी पर आधारित फिल्म है. फिल्म में विक्की कौशल, फातिमा सना शेख, सान्या मल्होत्रा, गोविंद नामदेव और मोहम्मद जीशान अय्यूब लीड रोल में हैं. फिल्म पहली दिसंबर को रिलीज हुई है और इसका मुकाबला बॉक्स ऑफिस पर रणबीर कपूर की फिल्म एनिमल से है. मेघना गुलजार को हटकर विषयों पर फिल्म बनाने के लिए पहचाना जाता है. सैम बहादुर भी इसी तरह की फिल्म है. आइए जानते हैं सैम बहादुर में क्या है खास और कैसी है फिल्म. पढें मूवी रिव्यू…
सैम बहादुर की कहानी
मेघना गुलजार की सैम बहादुर में सेना के अफसर सैम मानेकशॉ की जिंदगी को दिखाया गया है. किस तरह सैम अपनी धुन के पक्के थे और अपनी बात पर कायम रहते थे. उन्होंने सेना के लिए पांच जंग लड़ीं और उनकी जिंदगी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ दोनों को फिल्म में पेश किया गया है. सैम बहादुर में भारत की कई ऐतिहासिक हस्तियां भी दिखती हैं और सैम के साथ उनकी केमेस्ट्री भी. इस तरह फिल्म की डायरेक्टर मेघना ने सैम की जिंदगी के जरिये इतिहास की कई परतों को भी पेश किया है. बेशक कहानी इंस्पायरिंग है और विजुअल अच्छे हैं, लेकिन कहानी की ट्रीटमेंट और सितारों की परफॉर्मेंस फिल्म को लेट डाउन कर देती है. किरदारों में गहराई की कमी है और कहानी भी सतही है. जिस वजह से फिल्म से कनेक्शन ही नहीं बन पाता है
सैम बहादुर का डायरेक्शन
मेघना गुलजार इससे पहले तलवार, राजी और छपाक जैसी फिल्में बना चुकी हैं. सैम बहादुर पर वह लंबे समय से काम कर रही थीं. बेशक कहानी उन्होंने अच्छी चुनी. शख्सियत भी जानदार थी. विजुअल भी अच्छे बुने लेकिन किरदारों को लिए सितारों का चयन कसौटी पर खरा नहीं उतर पाया है. फिर इस कहानी को जिस तरह का ट्रीटमेंट चाहिए था वह भी मिसिंग और किरदारों का चयन भी गलत साबित होती है. मेघना गुलजार का डायरेक्शन काफी औसत रहा है.
सैम बहादुर की एक्टिंग
सैम बहादुर में मोहम्मद जीशान अय्यूब और गोविंद नामदेव को छोड़ दिया जाए तो कोई एक्टर कैरेक्टर में फिट नहीं बैठता है. विक्की कौशल सैम के रोल में कहीं बहुत ज्यादा ओवर हो जाते हैं तो कहीं एकदम आउट. उनकी एक्टिंग काफी एवरेज रही है. फिर उनका बोलने का अंदाज बॉलीवुड के सदाबहार हीरो के बोलने के अंदाज की याद दिलाता है. सान्या मल्होत्रा के लिए ज्यादा कुछ करने को है नहीं. फातिमा सना शेख ने इंदिरा गांधी का किरदार निभाया, लेकिन यादगार नहीं है. इस तरह फिल्म किरदारों को गढ़ने या उनको असली जैसा दिखाने की सिर्फ लुक वाइज ही कोशिश की गई है.
सैम बहादुर वर्डिक्ट
सैम बहादुर देशभक्ति के जज्बे और एक करिश्माई शख्सियत की जिंदगी को समेटे है. जो लोग सैम मानेकशॉ को फिल्म के जरिये जानना चाहते हैं, वह जरूर एक बार इस फिल्म को देख सकते हैं. लेकिन जिन्होंने मेघना की तलवार और राजी देखी है, उन्हें जरूर निराशा हो सकती है.