Hindenburg Case: SC द्वारा नियुक्त एक्सपर्ट कमेटी के सदस्यों को लेकर उठाए गए सवालों पर भी पूर्णविराम लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “किसी पर भी आरोप लगाना बहुत आसान है, इससे बचना चाहिए…
नई दिल्ली:
हिंडनबर्ग केस (Hindenburg Case)की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Suprme Court) ने सभी पक्षों से सोमवार तक लिखित में दलीलें मांगीं और अपना फैसला सुरक्षित रखा. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने निवेशकों के हितों के प्रति चिंता व्यक्त की. अदालत ने यह भी कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को अंतिम सच नहीं मान सकते.
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान SC द्वारा नियुक्त एक्सपर्ट कमेटी के सदस्यों को लेकर उठाए गए सवालों पर भी पूर्णविराम लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “किसी पर भी आरोप लगाना बहुत आसान है, इससे बचना चाहिए… हम यहां किसी को कैरेक्टर सर्टिफिकेट नहीं दे रहे हैं…” कोर्ट ने मीडिया रिपोर्टों को दरकिनार कर तथ्यों के आधार पर बात करने के लिए कहा.
सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को बनाई थी कमेटी
2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक कमेटी बनाई थी और SEBI को भी जांच के लिए 2 महीने का समय दिया था. मार्केट रेगुलेटर को 2 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन SEBI की ओर से कोर्ट में पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान जांच के लिए 6 महीने की मोहलत मांगी थी.
शॉर्ट सेलिंग को लेकर कोर्ट ने जताई चिंता
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने शॉर्ट सेलिंग के चलते निवेशकों को होने वाले नुकसान को लेकर चिंता व्यक्त की. कोर्ट ने कहा, “हमने इसीलिए दखल दिया, क्योंकि बाज़ार के उतार-चढ़ाव से निवेशकों को नुकसान हुआ… हमें निवेशकों के हितों को बचाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की चिंता है… निवेशकों को नुकसान न हो, इसके लिए कदम उठाने होंगे…”
SEBI की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर कहा कि शॉर्ट सेलिंग के मामले में एक्शन लिया जा रहा है. इसके अलावा, रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को भी एक्सपर्ट कमेटी के सुझावों के अनुरूप मज़बूत किया जाएगा.
सिरे से नकारी गई OCCRP रिपोर्ट
OCCRP रिपोर्ट पर बोलते हुए SG तुषार मेहता ने कहा, “हमें रिपोर्ट भेजी गई, लेकिन डिटेल नहीं दी गई… तो मैंने सुझाव दिया है कि इसका जवाब नहीं देंगे… ऐसी रिपोर्ट पर काम करने लगे, तो एक्सपर्ट कमेटी का काम ही बेकार हो जाएगा…”