दूरदर्शन के 34 साल पुराने संडे स्पेशल प्रोग्राम्स की लिस्ट देख लोगों को याद आए बचपन के दिन, चेक करें अपने पसंदीदा शो का नाम

जिनका बचपन 80-90 के दशक में बीता है उनके लिए वो पल आज भी अनमोल हैं. वक्त की तिजोरी में हमेशा के लिए बंद हो जाने वाले पलों की यादें और भी सुनहरी लगती हैं. सोशल मीडिया पर इन दिनों कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है.

नई दिल्ली: 

काम की व्यस्तता के साथ लोग अपने ही दायरे में सिमटते जा रहे हैं. करीबियों के साथ गुजरने वाले फुर्सत के पलों की जगह मोबाइल और सोशल मीडिया जैसी चीजों ने ले ली है. मगर 80-90 के दशक का एक ऐसा दौर भी था जब फुर्सत के पल अपनों के साथ से और भी हसीन और खुशनुमा हुआ करते थे. क्योंकि रविवार की छुट्टियों को बच्चों और बड़ों दोनों के लिए और भी खास बनाते थे दूरदर्शन के संडे स्पेशल प्रोग्राम्स. ये वो दौर था जब दूरदर्शन के प्रोग्राम देखने के लिए घर ही नहीं आस-पास के लोग भी जमा हो जाते थे, एंटीना घूमाकर सिग्नल लाया जाता था और टीवी सेट होना एक स्टेटस सिम्बल था.

जिनका बचपन 80-90 के दशक में बीता है उनके लिए वो पल आज भी अनमोल हैं. वक्त की तिजोरी में हमेशा के लिए बंद हो जाने वाले पलों की यादें और भी सुनहरी लगती हैं. सोशल मीडिया पर इन दिनों कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. 1989 में प्रसारित होने वाले दूरदर्शन के संडे स्पेशल प्रोग्राम्स से जुड़ा एक वीडियो अलग- अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो को देखने के बाद लोग पुराने दिनों को याद कर के भावुक हो रहे हैं. वायरल वीडियो में साल 1989 में रविवार को प्रसारित होने वाले ‘दूरदर्शन न्यूज’, ‘रंगोली’, ‘द स्पेशल सिग्मा’, ‘महाभारत’ जैसे सभी शोज के नाम उनके टाइमिंग के साथ दिखाए गए हैं.

टाइमिंगपर एतराज

वीडियो पर यूजर्स कमेंट्स के जरिए प्रतिक्रियाएं भी दे रहे हैं. एक यूजर ने लिखा, “अब चाहकर भी वो अच्छे दिन वापस नहीं आ सकते, वो दिन चले गए.” एक और यूज़र ने लिखा, “मेरे बचपन के दिन.”कमेंट सेक्शन में जहां एक तरफ पुराने दिनों को याद कर लोग भावुक हो रहे हैं तो उस दौरान लोगो के दोस्तों और परिवारों के साथ बिताए पल भी ताज़ा हो रहे हैं.  दूरदर्शन का वो  एक ऐसा दौर था जब रामायण और महाभारत शुरू होते ही किरदारों को देखकर लोग भगवान समझकर हाथ जोड़ लिया करते थे.  रंगोली का तो लोगों को बेसब्री से इंतजार हुआ करता था क्योंकि यही वो प्रोग्राम था जो लोगों को संगीत की एक अलग ही दुनिया में ले जाता था.

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