मणिपुर में स्टेटिक आईपी के अलावा किसी अन्य कनेक्शन की अनुमति नहीं है. अगर कोई सब्सक्राइबर किसी अन्य कनेक्शन का उपयोग करते हुए पाया जाता है तो इसके लिए सेवा प्रदाता को जिम्मेदार ठहराया जाएगा.
नई दिल्ली :
मणिपुर सरकार ने हिंसा प्रभावित राज्य में आंशिक रूप से इंटरनेट बहाल कर दिया है. सरकार ने आज एक आदेश में कहा कि केवल वे लोग जिनके पास स्टेटिक आईपी कनेक्शन है, वे ही सीमित तरीके से इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं. वहीं फिलहाल राज्य में मोबाइल इंटरनेट पर लगी पाबंदी जारी रहेगी. राज्य में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय झड़पों के बाद करीब दो महीने से ज्यादा वक्त से इंटरनेट बंद था. बता दें कि मणिपुर हिंसा के कारण 3 मई के बाद से अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
सरकार की ओर से कहा गया है कि स्टेटिक आईपी के अलावा किसी अन्य कनेक्शन की अनुमति नहीं है. अगर कोई सब्सक्राइबर किसी अन्य कनेक्शन का उपयोग करते हुए पाया जाता है तो इसके लिए सेवा प्रदाता को जिम्मेदार ठहराया जाएगा.
स्टेटिक एड्रेस की निगरानी करना आसान
जब किसी डिवाइस को एक स्टेटिक आईपी एड्रेस दिया जाता है तो यूनिक एड्रेस नहीं बदलता है. ज्यादातर डिवाइस डायनेमिक आईपी एड्रेस का उपयोग करते हैं. कानून प्रवर्तन अधिकारियों के द्वारा स्टेटिक आईपी एड्रेस की निगरानी करना आसान होता है.
सोशल मीडिया वेबसाइटों तक नहीं होगी पहुंची
राज्य में किसी भी वाई-फाई हॉटस्पॉट की अनुमति नहीं है. साथ ही सोशल मीडिया वेबसाइटों तक भी पहुंच नहीं होगी. सरकार ने कहा कि यूजर्स को वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) सॉफ्टवेयर हटा देना चाहिए और नया इंस्टॉल नहीं करना चाहिए. वीपीएन इंटरनेट ट्रैफिक को एन्क्रिप्ट करता है. साथ ही ऑनलाइन पहचान को छिपाता है. इसके चलते तीसरे पक्ष के लिए ऑनलाइन गतिविधियों को ट्रैक करना काफी मुश्किल हो जाता है.
आदिवासी एकजुटता मार्च के दौरान भड़की थी हिंसा
बता दें कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान हिंसा भड़क गई थी. जिसके कारण राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं तथा कई अन्य घायल हुए हैं.