राहुल गांधी ने पहले कहा था कि न तो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नए संसद भवन का उद्घाटन कराना और न ही उन्हें समारोह में आमंत्रित करना देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का “अपमान” है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश की नई संसद का उद्घाटन किया. नए संसद भवन के उद्घाटन के कुछ घंटों बाद, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम पर तंज कसते हुए कहा कि वह नए भवन के उद्घाटन को राज्याभिषेक समारोह मान रहे हैं. राहुल गांधी ने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा कि संसद लोगों की आवाज़ है! प्रधानमंत्री संसद भवन के उद्घाटन को राज्याभिषेक समझ रहे हैं.
राहुल गांधी की पार्टी, कांग्रेस भी देश की उन 20 पार्टियों में शामिल है, जिन्होंने नई संसद के भव्य उद्घाटन का बहिष्कार किया. हालांकि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने उद्घाटन के बहिष्कार के फैसले को “लोकतांत्रिक लोकाचार और हमारे महान राष्ट्र के संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान” करार दिया है.
राहुल गांधी ने पहले कहा था कि न तो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नए संसद भवन का उद्घाटन कराना और न ही उन्हें समारोह में आमंत्रित करना देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का “अपमान” है. उन्होंने यह भी कहा कि संसद अहंकार की ईंटों से नहीं बल्कि संवैधानिक मूल्यों से बनी है. संसद के उद्घाटन को लेकर विपक्षी दलों ने इस आयोजन का बहिष्कार करते हुए एक बयान जारी किया.
इस बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय, राष्ट्रपति को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए, न केवल उनका घोर अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है … यह अशोभनीय कार्य राष्ट्रपति के उच्च कार्यालय का अपमान करता है और उल्लंघन करता है. यह समावेश की भावना को कम करता है. इससे पहले आज, लालू यादव के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने नए संसद भवन के आकार की तुलना एक ताबूत से करने वाले एक ट्वीट पर भारी आलोचना की.
बीजेपी ने पलटवार करते हुए इसे अपमानजनक और घटिया मानसिकता का खुलासा करते हुए ट्वीट किया और मांग की कि ट्विटर पोस्ट के पीछे देशद्रोह का आरोप लगाया जाना चाहिए. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “राजद का कोई स्टैंड नहीं है, पुराने संसद भवन को दिल्ली अग्निशमन सेवा से भी मंजूरी नहीं थी. वे (राजद) संसद को ताबूत क्यों कह रहे हैं? वे कुछ और कह सकते थे.?”