राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच की तकरार कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है. जबकि पार्टी इस वक्त आगामी चुनावी राज्यों पर फोकस करने में लगी है.
हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में चुनावी जीत से उत्साहित कांग्रेस अब अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले अपने मतदाता आधार को मजबूत करने के लिए अन्य चुनावी राज्यों पर फोकस कर रही है. पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति बनाने के लिए 24 मई को तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के नेताओं की बैठक बुलाई है. सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इस महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता करेंगे. पार्टी में अहम पदों को लेकर वरिष्ठ नेताओं के बीच आंतरिक संघर्ष के बीच यह बैठक हो रही है.
दक्षिण में भारी जीत के जश्न में मुख्यमंत्री की सीट को लेकर सप्ताह भर तक खींचतान का दौर चला. आखिरकार कांग्रेस ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच समझौता करा इस मामले को शांत करा लिया. लेकिन पार्टी को अब एक और ऐसी ही खींचतान का सामना राजस्थान में भी करना पड़ रहा है. जहां सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. कांग्रेस के राज्य प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा है कि पार्टी असंतुष्टों को नहीं निकालेगी, लेकिन उन्होंने याद दिलाया कि अतीत में नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद उनका प्रदर्शन कैसा रहा.
मध्य प्रदेश, में एक विद्रोही नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के 22 पार्टी विधायकों के साथ पार्टी छोड़ने से साल 2020 में 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद कांग्रेस की काफी किरकिरी हुई थी. हालांकि इस बार पार्टी को भाजपा को पछाड़ने की उम्मीद है क्योंकि पिछले दो दशकों में सत्ता में रहने के बाद उसे भारी सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि तेलंगाना में, कांग्रेस चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति से मुकाबला करेगी.
कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के विशाल अखिल भारतीय पैदल मार्च “भारत जोड़ो यात्रा” को भुनाने की उम्मीद कर रही है, जिसके बारे में उसका कहना है कि इसने अपने कैडर आधार को फिर से सक्रिय कर दिया है. कर्नाटक की जीत के लिए पार्टी ने सार्वजनिक रूप से भारत जोड़ो यात्रा को श्रेय दिया.