क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान बुधवार को कोर्ट में पेश किया गया था
नई दिल्ली:
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ़्तारी के बाद उनके समर्थकों द्वारा समूचे मुल्क में किए जा रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान इमारतों और अन्य संपत्तियों की व्यापक तोड़फोड़ हुई है.
प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान के नेशनल रेडियो ब्रॉडकास्टर के दफ़्तर में भी आग लगा दी. कुछ ट्विटर यूज़रों ने जलती हुई एक इमारत के वीडियो पोस्ट किए हैं, जिनके बारे में दावा किया जा रहा है कि यह इस्लामाबाद स्थित रेडियो पाकिस्तान का दफ़्तर है.
क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान बुधवार को कोर्ट में पेश किया गया था, जबकि समूचे मुल्क में उनकी गिरफ़्तारी के विरोध में हिंसक प्रदर्शन जारी थे. उनकी गिरफ़्तारी के बाद उनके लाखों समर्थक लगभग हर शहर की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन के लिए उतर आए थे.
समाचार एजेंसी AFP के मुताबिक, इमरान खान के वकीलों ने बताया कि नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (NAB – इमरान खान की गिरफ़्तारी का आदेश देने वाला भ्रष्टाचार-रोधी निकाय) ने जज से पूर्व PM की 10 दिन की हिरासत मांगी थी, हालांकि कोर्ट ने उन्हें आठ दिन के लिए NAB की हिरासत में भेजा है. मामले की अगली सुनवाई 17 मई को होगी.
इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी सहयोगी शाह महमूद कुरैशी को भी पुलिस ने गुरुवार को गिरफ़्तार कर लिया है.
इमरान खान को मंगलवार को इस्लामाबाद की एक कोर्ट में रूटीन पशी के दौरान गिरफ़्तार कर अज्ञात स्थान पर ले जाया गया था. इसके बाद, उन्हें बुधवार को पुलिस मुख्यालय में विशेष रूप से बनाई गई बंद दरवाज़ों वाली अदालत में पेश किया गया.
पिछले साल अप्रैल में पद से हटा दिए गए इमरान खान पिछले कई महीनों से पाकिस्तान में बेहद ताकतवर सेना के खिलाफ अभूतपूर्व अभियान चला रहे थे, जिसकी वजह से मुल्क में राजनैतिक संकट के हालात पैदा हो गए थे.
पाकिस्तान में बेहद लोकप्रिय क्रिकेटर रहे इमरान खान ने अपने खिलाफ दर्ज किए गए दर्जनों मामलों में सभी आरोपों से इंकार किया है. उनका कहना है कि उनके खिलाफ अनगिनत कानूनी मामले उन्हें सत्ता में लौटने से रोकने के लिए मुल्क की सरकार और सेना की कोशिशों का ही हिस्सा हैं.
इमरान खान की गिरफ्तारी भी तब हुई थी, जब उनके द्वारा सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी पर उन्हें मारने की साजिश में शामिल होने के आरोप लगाने के बाद सेना की कड़ी प्रतिक्रिया आई थी.
वर्ष 1947 में पाकिस्तान की स्थापना के बाद से राजनेता अक्सर गिरफ़्तार किए जाते रहे हैं, और उन्हें जेल में डाला जाता रहा है. लेकिन देश में कम से कम तीन बार तख्तापलट करने और तीन दशक से भी ज़्यादा वक्त तक मुल्क पर हुकूमत करने वाली सेना को बहुत कम राजनेता चुनौती दे पाए हैं.
पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद करने और ट्विटर, फेसबुक व यूट्यूब जैसी सोशल मीडिया साइटों तक एक्सेस को सीमित करने का आदेश दिया है.
प्रशासन ने देशभर में स्कूलों को बंद कर दिया है, और साल के आखिर में होने वाले सालाना इम्तिहानों को रद्द कर दिया है.
हिंसक प्रदर्शनों में देशभर में सैकड़ों पुलिस अधिकारी ज़ख्मी हो चुके हैं. पाकिस्तान के सबसे ज़्यादा आबादी वाले प्रांत पंजाब में लगभग 1,000 लोग गिरफ़्तार किए जा चुके हैं, और अमन बनाए रखने के लिए सेना को तैनात कर दिया गया है.