“एकनाथ शिंदे को इस्तीफा दे देना चाहिए, जैसे मैंने किया”: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उद्धव ठाकरे

सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि पिछले साल 30 जून को महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बुलाना सही नहीं था.

मुंबई: 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर फैसला सुनाये जाने के बाद कहा कि मैंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया था. एकनाथ शिंदे और फडणवीस में नैतिकता है, तो वह भी मेरी तरह इस्तीफा दें. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सत्ता में आने के लिए लोकतंत्र की “हत्या” की थी और उन्हें पद छोड़ देना चाहिए. इस पर महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उद्धव ठाकरे का एकनाथ शिंदे से इस्‍तीफा देने की मांग करना हास्‍यास्‍पद है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, “लोकतंत्र की हत्या के बाद एकनाथ शिंदे जीते. उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.”

महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र में पिछले साल शिवसेना केंद्रित राजनीतिक संकट पर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर बृहस्पतिवार को ‘‘पूर्ण संतोष” व्यक्त किया. साथ ही उद्धव ठाकरे पर तंज कसते हुए कहा, “उद्धव ठाकरे के मुंह से नैतिकता की बात कहना शोभा नहीं देता है. उद्धव ठाकरे ने कहा की मैंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया था. मैं पूछना चाहता हूं कि जब बीजेपी के साथ सरकार बनाई, उसे छोड़कर फिर एनसीपी और कांग्रेस के साथ गए, तब यह नैतिकता किस डब्बे में बंद की थी? आप नैतिकता की बात न ही करें. एकनाथ शिंदे के इस्तीफा देने का सवाल ही नही उठता.”

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि पिछले साल 30 जून को महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बुलाना सही नहीं था. हालांकि, न्यायालय ने पूर्व की स्थिति बहाल करने से इनकार करते हुए कहा कि ठाकरे ने शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे दिया था. महाराष्ट्र में पिछले साल शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिरने और सामने आये राजनीतिक संकट से जुड़ी अनेक याचिकाओं पर सर्वसम्मति से अपने फैसले में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि शिंदे गुट के भरत गोगावाले को शिवसेना का व्हिप नियुक्त करने का विधानसभा अध्यक्ष का फैसला ‘अवैध’ था.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा , चूंकि ठाकरे ने विश्वास मत का सामना किये बिना इस्तीफा दे दिया था, इसलिए राज्यपाल ने सदन में सबसे बड़े दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कहने पर सरकार बनाने के लिए शिंदे को आमंत्रित करके सही किया. पीठ में न्यायमूर्ति एम आर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारि, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा शामिल रहे.

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