स्कूली शिक्षकों से बच्चे सीख रहे कला
“रोते रोते हंसना सीखो, हंसते हंसते रोना, जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना” किशोर कुमार के इस गीत के जैसे बच्चों को सिखाने वाले शिक्षक या अन्य प्रोफेशनल कलाकार जितने कला जानते हैं उतने ही अच्छे ढंग से बच्चों को ये कला सीखा सकते हैं।
कलेक्टर डॉ फरिहा आलम सिद्दीकी के निर्देशन में जिले के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में संचालित समर कैंप में ऐसे बहुत से शिक्षक कई विधाओं के जानकार हैं जो बच्चों को प्रोफेशनल डांस, पतंग बनाना, चित्रकला, मूर्तिकला, शॉल स्वेटर बुनना, मेहंदी, रंगोली, माटीकला के मूर्तियों में आकर्षक रंग रोगन सिखाकर इन विधाओं को नई पीढ़ी को स्थानांतरित कर रहे हैं।
समर कैंप में बच्चों को खेल खेल में संज्ञा सर्वनाम क्रिया विशेषण और अंग्रेजी के शब्दों से वाक्य बनाना, भाग देना जैसे परम्परागत शिक्षा भी प्रदान की जा रही है। प्राथमिक शाला बरभांठा के बच्चों के करमा कुहुकी गाबो मांदर के ताल म और छेर छेरा गीत पर बेहतर डांस प्रस्तुत किया गया।प्राथमिक और मिडिल स्कूल बेल्हा,ओटगन, कारीपाट, बरभांठा, नवापारा, पवनी, मडकड़ी, छिर्रा, चुरेला, गिरसा, भटगांव, डुरुमगढ़, सरसीवां, स्वामी आत्मानंद स्कूल बिलाईगढ़ के साथ साथ अन्य स्कूलों में नियमित समर कैंप कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि समर कैंप में अन्य दैनिक खेल कबड्डी, फुगड़ी, बांटी, भौरा भी खेले जा रहे हैं।