कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने लंबे मंथन के बाद मंगलवार रात 189 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी. सूची पर पूर्व मुख्यमंत्री और ताकतवर लिंगायत नेता बी एस येदियुरप्पा की छाप साफ दिख रही है.
बेंगलुरु:
भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक की 224 में 189 सीटों पर कल देर रात अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. हालांकि, कुछ जगहों पर विरोध हुआ है, लेकिन बीजेपी नेताओं का दावा है कि बीजेपी ने मुकाबले को कड़ा बनाने के लिए कई कड़े फैसले किए हैं और चुनाव परिणामों पर इनका असर दिखेगा. बीजेपी ने अपने दो बड़े नेताओं आर. अशोक और वी. सोमन्ना को कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के दावेदारों के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है. वे अपनी परंपरागत सीटों से भी चुनाव लड़ रहे हैं. इसके पीछे बीजेपी की सोची-समझी रणनीति है. आर. अशोक डी. के. शिवकुमार के खिलाफ कनकपुरा सीट से और वी सोमन्ना वरुणा में सिद्धारमैया के खिलाफ मैदान में हैं. ये दोनों ही सीटें दक्षिण कर्नाटक की हैं जहां बीजेपी परंपरागत रूप से कमजोर है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि इन हाई प्रोफाइल मुकाबले से बीजेपी कार्यकर्ताओं में जोश आएगा जिसका दक्षिण कर्नाटक में लाभ मिल सकता है.
कर्नाटक चुनाव को लेकर बीजेपी की बड़ी रणनीति
आर अशोक और वी सोमन्ना दोनों ही ताकतवर नेता हैं. उनका अपने समुदायों में भी दबदबा है. जहां आर अशोक वोक्कालिंगा हैं. वहीं, वी सोमन्ना लिंगायत हैं. दोनों ही अपने-अपने समुदायों के नेता के रूप में उभरना चाहते हैं. जाहिर, है दोनों यह जानते हैं कि अगर इन हाई प्रोफाइल मुकाबलों में वे अच्छा करते हैं, तो इससे वे अपने-अपने समुदायों के ताकतवर नेता बन सकते हैं. इसलिए वे अपना पूरा जोर लगाएंगे. साथ ही, गृह मंत्री अमित शाह भी इन दोनों सीटों पर जमकर ताकत झोकेंगे. इन दोनों नेताओं को यह आश्वासन भी दिया गया है कि अगर वे चुनाव जीतते हैं, तो उनकी दूसरी सीटों पर उनके रिश्तेदारों को टिकट मिल सकता है. कर्नाटक चुनाव में बीजेपी की यह बड़ी रणनीति मानी जा रही है, क्योंकि दोनों ही नेताओं पर कांग्रेस के दिग्गजों को कड़ी टक्कर देने का दबाव रहेगा और उन पर सबकी नजरें रहेंगी. इसलिए वे अंदरखाते इनसे कोई समझौता भी नहीं कर सकते.
कर्नाटक में येदियुरप्पा फैक्टर
बीजेपी के उम्मीदवारों की सूची पर पूर्व मुख्यमंत्री और ताकतवर लिंगायत नेता बी एस येदियुरप्पा की छाप बिल्कुल साफ दिख रही है. सोमवार को जब वे दोपहर में ही दिल्ली से बेंगलुरु चले गए तो मीडिया के एक धड़े ने उनके नाराज होने की अटकल लगाई, जबकि वास्तविकता इसके विपरीत थी. येदियुरप्पा अपनी पसंद के उम्मीदवारों की सूची आलाकमान को देकर और उस पर मुहर लगवा कर ही बैंगलुरु वापस गए। इसीलिए वहां पहुंचकर उन्होंने कहा कि वे प्रसन्न हैं और उन्हें कोई शिकायत नहीं है.
किस समाज के नेताओं को कितनी टिकट…?
बीजेपी ने येदियुरप्पा के समुदाय लिंगायत के 50 से भी अधिक विधायकों को एक बार फिर टिकट दिया है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 55 लिंगायत उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जबकि वोक्कालिंगा समाज से करीब 40 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. येदियुरप्पा ने कई महीने पहले अपनी सीट शिकारीपुरा से चुनाव न लड़ने का ऐलान किया था और कहा था कि उनके बेटे बी वाय विजयेंद्र उनकी जगह चुनाव लड़ेंगे. इस पर बीजेपी कर्नाटक के कई नेताओं ने आपत्ति की थी. राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि ने तो यहां तक कह दिया कि नेताओं के किचन में टिकट तय नहीं होंगे.
बीजेपी के चुनावी पोस्टरों में ये चेहरा प्रमुखता से रहेगा
लेकिन पार्टी आलाकमान बी एस येदियुरप्पा के साथ है. कल देर रात घोषित हुई सूची में उनके बेटे बी वाय विजयेंद्र को शिकारीपुरा से उम्मीदवार घोषित किया गया. यही नहीं, येदयुरप्पा के तमाम समर्थकों को बीजेपी की सूची में जगह दी गई. कई ऐसी सीटों पर जहां कई दावेदारों के कारण भ्रम था, वहां येदियुरप्पा के समर्थकों को जगह दी गई. बीजेपी नेताओं के अनुसार, करीब 18-20 ऐसी सीटों पर येदियुरप्पा की चली. इतना ही नहीं, बीजेपी के चुनावी पोस्टरों में भी येदियुरप्पा का चेहरा प्रमुखता से रहेगा. बीजेपी इस बार बिना किसी को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किए चुनाव मैदान में उतर रही है. पार्टी के अधिकांश पोस्टरों पर केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कमल का निशान होगा. अन्य पोस्टरों में पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ ही बी एस येदयुरप्पा, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और प्रदेश अध्यक्ष नवीन कतील के फोटो होंगे.
पीएम मोदी कर्नाटक दौरों में येदियुरप्पा का हाथ पकड़ कर चलते नजर आए थे. जब अमित शाह राज्य के दौरे पर गए, तो उन्होंने येदियुरप्पा के बजाए उनके बेटे के हाथ से गुलदस्ता लेकर राज्य नेताओं को संदेश दे दिया था. वे येदियुरप्पा के घर भी सुबह के नाश्ते के लिए गए जहां उनके बेटे ने अपने हाथों से उन्हें नाश्ता परोसा. ये सब बातें राज्य बीजेपी में येदियुरप्पा के वर्चस्व को स्थापित करने के लिए काफी है, जिसका सबूत बीजेपी के उम्मीदवारों की सूची से भी मिला है.