पीएम मोदी ने कहा कि कच्छ में वर्ष 2001 में आए भूकंप के बाद गुजरात आपदा प्रबंधन कानून लाने वाला पहला राज्य था. उन्होंने कहा कि इस कानून के आधार पर केंद्र ने वर्ष 2005 में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून बनाया था.
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुक्रवार को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए ‘प्रतिक्रियात्मक के बजाय सक्रिय’ दृष्टिकोण अपनाने और भविष्य की प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर जोर दिया, ताकि नुकसान को कम किया जा सके. आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए राष्ट्रीय मंच (NPDRR) के तीसरे सत्र का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम प्राकृतिक आपदाओं को रोक नहीं सकते, लेकिन हम उनसे होने वाले नुकसान को कम करने के लिए प्रणाली बना सकते हैं.”
पीएम मोदी ने कहा, ‘‘हमें प्रतिक्रियात्मक होने के बजाय सक्रिय होना होगा. सक्रिय होने के लिए देश में (पहले) क्या स्थिति थी और अब क्या स्थिति है? आजादी के पांच दशक बाद भी आपदाओं से निपटने के लिए देश में कोई कानून नहीं था.”उन्होंने कहा कि कच्छ में वर्ष 2001 में आए भूकंप के बाद गुजरात आपदा प्रबंधन कानून लाने वाला पहला राज्य था. उन्होंने कहा कि इस कानून के आधार पर केंद्र ने वर्ष 2005 में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून बनाया था.
इसके बाद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना की गई. प्रधानमंत्री ने कहा कि आपदा योजना के बेहतर प्रबंधन के लिए पारंपरिक आवास और नगर नियोजन प्रक्रिया को भविष्य की प्रौद्योगिकी से समृद्ध किया जाना चाहिए. स्थानीय बुनियादी ढांचे की प्रतिरोध शक्ति का वास्तविक समय पर आधारित मूल्यांकन समय की मांग है.
पीएम ने कहा कि यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात होनी चाहिए कि तुर्की और सीरिया में आए भीषण भूकंप के बाद पूरी दुनिया ने देश के आपदा राहत कार्यों की सराहना की है. पीएम मोदी ने आपदा प्रबंधन में स्थानीय भागीदारी बढ़ाने और आपदाओं से जुड़ें खतरों से लोगों को जागरूक करने पर भी बल दिया. उन्होंने कहा, ‘‘आपदा प्रबंधन को मजबूत करने के लिए पहचान (रिक्गनिशन) और सुधार (रिफॉर्म) बहुत जरूरी है.”
उन्होंने विस्तार से बताया कि ‘पहचान’ का मतलब ये समझना है कि आपदा की आशंका कहां है. वह भविष्य में कैसे घटित हो सकती है? सुधार का मतलब है कि ऐसा तंत्र विकसित किया जाए, ताकि आपदा से कम से कम नुकसान हो. प्रधानमंत्री ने आपदा प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए नये दिशा-निर्देश तय करने पर भी बल दिया.
उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए हमें दो स्तर पर काम करना होगा. पहला, आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों को स्थानीय भागीदारी पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए और दूसरा, हमें आपदाओं से जुड़ें खतरों से लोगों को जागरूक करना होगा.”उन्होंने कहा कि आपदा नियोजन के बेहतर प्रबंधन के लिए पारंपरिक आवास और नगर नियोजन प्रक्रिया को भविष्य की प्रौद्योगिकी से समृद्ध किया जाना चाहिए.
आपदा प्रबंधन में प्रौद्योगिकी नवाचार पर ध्यान देने पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि स्थानीय अवसंरचना की प्रतिरोधक क्षमताओं का आकलन वक्त की मांग है. प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम के दौरान सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार विजेताओं क्रमश: ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ओएसडीएमए) और मिजोरम का लुंगलेई फायर स्टेशन को सम्मानित भी किया.
इस अवसर पर गृह मंत्री अमित शाह ने तुर्की और सीरिया में भारतीय राहत और बचाव दल के काम की सराहना की. पिछले महीने आए भीषण भूकंप में इन दोनों देशों में कम से कम 50,000 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे. एनपीडीआरआर के दो दिवसीय तीसरे सत्र का विषय ‘‘जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर स्थानीय लचीलेपन का निर्माण” है.
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के क्षेत्र में अभिनव विचारों और पहलों, उपकरणों और प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने के लिए आयोजित एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया. एनपीडीआरआर में केन्द्रीय मंत्रियों, राज्यों के आपदा प्रबंधन मंत्रियों, सांसदों, स्थानीय स्वशासन के प्रमुख, विशिष्ट आपदा प्रबंधन एजेंसियों के प्रमुख, शिक्षाविद, निजी क्षेत्र के संगठन, मीडिया और नागरिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों सहित 1000 विशिष्ट अतिथि शामिल हैं.