याचिकाकर्ता ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार का आह्वान करते हुए पूरे महाराष्ट्र में कई कार्यक्रम और रैलियां हुई हैं.
नई दिल्ली:
मुंबई में सकल हिंदू समाज द्वारा पांच फरवरी को आयोजित की जाने वाली रैली के खिलाफ दायर अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई कर सकता है. इस अर्जी में हेट स्पीच का आरोप लगाते हुए रैली को रोकने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने जस्टिस के एम जोसेफ की बेंच से इस मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की है. जस्टिस जोसेफ ने कहा कि अर्जी की कॉपी सरकार को दी जाए, हम कल सुनवाई के लिए लिस्ट करेंगे, लेकिन ये सीजेआई (CJI) की मंजूरी के अधीन होगा.
अर्जी में भाजपा विधायक टी राजा द्वारा 29 जनवरी 2023 को आयोजित रैली में दिए भाषण का जिक्र करते हुए कहा गया है कि उन्होंने खुलेआम मुसलमानों की हत्या का आह्वान किया था. याचिकाकर्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हेट स्पीच के माध्यम से सांप्रदायिक वैमनस्य को भड़काने के उद्देश्य से आयोजित होने वाले इसी तरह के आयोजनों/रैलियों पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दे. साथ ही महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक और अन्य अधिकारियों को उचित कार्रवाई करने के निर्देश दे.
इसमें कहा गया कि यह सुनिश्चित की जाए कि मुंबई में 05 फरवरी 2023 को होने वाली रैली को अनुमति ना दी जाए. यदि अधिकारी निर्धारित रैली को रोकने में विफल रहते हैं तो उनसे पूछा जाए कि कानून के अनुसार क्या उपाय किए गए थे और कारण बताएं कि वे उक्त घटना को रोकने में विफल क्यों रहे. यदि अधिकारी मुंबई में रैली को रोकने में असमर्थ होते हैं, तो इसे रिकॉर्ड करने और फुटेज व रिकॉर्डिंग अदालत को देने को कहा जाए. वहीं वक्ताओं, संगठनों और प्रतिभागियों के खिलाफ प्रासंगिक कानून के तहत कार्रवाई करने के लिए भी निर्देश जारी किए जाएं और विफल रहने पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए.
याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्ला ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार का आह्वान करते हुए पूरे महाराष्ट्र में कई कार्यक्रम और रैलियां हुई हैं. पूरे मुस्लिम समुदाय को अपराधी बनाने के लिए “जमीन जिहाद” के साथ-साथ “लव जिहाद” के आरोप लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन रैलियों और कार्यक्रमों में हजारों लोगों ने भाग लिया है और इसके परिणामस्वरूप सांप्रदायिक उत्पीड़न की एक बहुत ही जायज आशंका पैदा हुई है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. चौंकाने वाली संख्या में बच्चे भी इन रैलियों में भाग लेते और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ घृणित नारे लगाते देखे गए हैं.